मुरैना। जिले में अधिकारी किस तरह से अपने पद के नशे में चूर है। इस बात की वानगी मंगलवार को देखने को मिली है। जब एक आला अधिकारी जिसके कंधों पर पीड़ित लोगों की समस्याएं सुनने और उसके निराकरण की जवाबदारी है। वह मंगलवार को वायरल हुए एक वीडियो में सरेराह बेलगाम नजर आ रहा है। वायरल वीडियो में एडीएम एक गांव के सरपंच पर महज इसलिए अभद्रता करते हुए एफआईआर दर्ज कराने की कह रहे हैं। क्योंकि उसने गांव के पीड़ित ग्रामीणों की समस्या सुनाने से पहले कलेक्ट्रेट पहुंचने की परमिशन नहीं ली थी भीड़भाड़ के बीच एक जनप्रतिनिधि से इस तरह का व्यवहार किया है | एडीएम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है।
एक तरफ तो मध्य प्रदेश केे मुखिया शिवराज सिंह चौहान जनता को भगवान का दर्जा दे चुके हैं। तो वहीं दूसरी तरफ शासन के अधिकारी पद के नशे में इस कदर चूर है, कि वह शायद यह तक भूल गए हैं, कि उन्हें जनता की सेवा करने और उनकी समस्याएं सुनने से लेकर उसके निराकरण करवाने की जवाबदारी दी गई है। लेकिन इसके उलट वे पीड़ितों को धमकाने मैं लगे हुए हैं ऐसा ही एक मामला जिले की कलेक्ट्रेट में देखने को मिला है जहां पर मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई में एडीएम उमेश शुक्ला ने उस वक्त अपना आपा खो दिया जब कैलारस ग्राम कटटोली से आये ग्रामीण राशन ना मिलने की शिकायत लेकर कलेक्ट्रेट के अंदर प्रवेश कर गए । जब इसकी सूचना एडीएम को लगी तो वे आगबबूला होकर ग्रामीणों से मिलने आए और कहने लगे तुम्हारा नेता कौन है। इस बीच ग्रामीणों का नेतृत्व कर रहे सरपंच ने राशन न मिलने की शिकायत एडीएम से की। तो उनका व्यवहार बहुत ही खराब नजर आया और उन्होंने जनता को लेकर कलेक्ट्रेट में पहुंचने पर एफआईआर दर्ज कराने तक की धमकी दे डाली और अपने गनर से सरपंच का नाम नोट करने के साथ सरपंच की नेता नगरी ठीक करने की कहकर चले गए
कलेक्ट्रेट कार्यालय में इसी दौरान किसी ने एडीएम और सरपंच के बीच हुई बातचीत का वीडियो रिकॉर्ड कर लिया जो अब सभी जगह वायरल हो रहा है। एडीएम उमेश शुक्ला जिम्मेदार एवं वरिष्ठ अधिकारी द्वारा किए गए व्यवहार से वहां आए हुए लोग सन्न रह गए और कहने लगे कि एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा लोगों के लिए इस तरह का व्यवहार करना निंदनीय है। ऐसे अधिकारियों पर प्रदेश सरकार द्वारा दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए जिससे अन्य अधिकारी प्रदेश की जनता से ऐसी बत्तमीजी ना कर सके।
किसी अधिकारी के द्वारा सार्वजनिक रूप से इस तरह से अपना आपा खोने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई बार ऐसे मामले सामने आते रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है, कि जब प्रदेश स्तर पर मंगलवार को जनसुनवाई का आयोजन किया जाता है। तो फिर जनसुनवाई में पीड़ित ग्रामीणों की शिकायत लेकर पहुंचे एक जनप्रतिनिधि से किसी अधिकारी का इस तरह का असभ्य व्यवहार करना कितना ठीक है। इस तरह का वाक्या कहीं ना कहीं जिले में चल रही जनसुनवाई को सवालों के कटघरे में खड़ा कर देता है।