Covaxin : अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान ने कहा है कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के सहयोग से भारत बॉयोटेक द्वारा विकसित कोवैक्सीन कोरोना वायरस के अल्फा और डेल्टा स्वरूपों को प्रभावी तरीके से बेअसर करती है।
एनआईएच ने कहा कि कोवैक्सीन लगवाने वाले लोगों के रक्त सीरम के दो अध्ययनों के परिणाम बताते हैं कि यह टीका ऐसे एंटीबॉडी विकसित करता है, जो सार्स-सीओवी-2 के बी.1.1.7 (अल्फा) और बी.1.617 (डेल्टा) स्वरूपों को प्रभावी तरीके से बेअसर करते हैं, ये स्वरूप सबसे पहले क्रमश: ब्रिटेन और भारत में पाए गए थे।
शीर्ष अमेरिकी स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान ने कहा कि उसकी वित्तीय मदद से विकसित एक सहायक औषधि ने अत्यधिक प्रभावशाली कोवैक्सीन की सफलता में योगदान दिया है, जिसे भारत एवं अन्य स्थानों में अब तक लगभग दो करोड़ 50 लाख लोगों को लगाया जा चुका है। सहायक औषधियां प्रतिरक्षा क्षमता और टीके की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए उसके हिस्से के रूप में तैयार की जाती हैं।
एनआईएच ने बताया कि कोवैक्सीन में सार्स-सीओवी-2 के एक अक्षम रूप को शामिल किया गया है जो अपनी प्रति नहीं बना सकता, लेकिन वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करता है। उसने कहा कि टीके के दूसरे चरण के परीक्षण के प्रकाशित परिणाम बताते हैं कि यह सुरक्षित है। उसने बताया कि कोवैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण के सुरक्षा संबंधी आंकड़े इस साल के अंत में उपलब्ध हो जाएंगे।