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Wednesday, November 20, 2024

जूडॉ के बाद नर्सिंग स्टाफ ने पकड़ी आंदोलन की डगर, मांगे नहीं मानी तो होगी अनिश्चितकालीन हड़ताल

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ग्वालियर। जूनियर डॉक्टरों के बाद अब प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों की नर्सिंग स्टाफ ने अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया है। नर्सेस ने अपना आंदोलन मप्र नर्सेस एसोसिएशन के बैनर पर शुरू किया है। नर्सेस एसोसिएशन की प्रदेशाध्यक्ष रेखा परमार के मुताबिक अपनी मांगों को लेकर आयुक्त चिकित्सा शिक्षा, जीआरएमसी के डीन, जयारोग्य अस्पताल के अधीक्षक और मानसिक आरोग्यशाला के संचालक को ज्ञापन सौंपा है। जिसके तहत आज वे काली पट्टी बांधकर काम कर रही है।

नर्सेस क्रमबद्ध तरीके से आंदोलन चलाएंगी और वह आज की तरह ही कल भी काली पट्टी बांधकर काम करेंगी। उसके बाद 11 को पीपीई किट में प्रदर्शन, 12 को मानव शृंखला, 13 को लोगों से क्षमा, 14 को धरना और 15 जून को 2 घंटे का काम बंद रखेंगी। इसके बाद भी मांगें नहीं मानीं तो अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली जाएंगी। नर्सेस का कहना है,कि ग्रेड पे, इंक्रीमेंट, नाइट अलाउंस, के साथ ही पदनाम बदलने की मांग है। मध्यप्रदेश में नर्सेज को पदनाम के माध्यम से स्टाफ नर्स कहा जाता है। जबकि केरल, तमिलनाडु जैसे राज्यों में नर्सेज ऑफिसर के नाम से इन्हें जाना जाता है। जिसके चलते इनके मानदेय में भी बढ़ोतरी होती है। इसलिए पदनाम बदलने की मांग भी नर्सेज सालों से करती आ रही है। नर्सेज एसोसिएशन ने सरकार को चेतावनी दी है ,कि अगर उनकी मांगों का निराकरण नहीं किया गया तो वह अनिश्चितकालीन हड़ताल पर भी जा सकते हैं।

आपको बता दें कि नर्सों की कमी एमपी के 13 मेडिकल कॉलेज और सैकड़ों सरकारी अस्पताल में वैसे ही नर्सों की कमी बनी हुआ है। प्रदेश के इन सभी मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पतालों में परमानेंट नर्स की मौजूदा संख्या 28 हजार से 30 हजार है। जबकि मौजूदा स्थिति में प्रदेश में 50 से 60 हजार नर्सों की जरुरत है। सरकार ने तीस हजार के लगभग पदों पर तो नर्सेज की परमानेंट नियुक्ति करके रखी है। लेकिन बचे हुए 15 हजार से 20 हजार पदों पर संविदा के द्वारा नियुक्ति किए जाने का प्रावधान रखा है। जिसका जिम्मा एनएचएम को दिया गया है। वहीं प्रदेश में 4000 से अधिक पद अभी भी खाली हैं। जिन पर नर्सों की नियुक्ति नहीं हुई है।

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