इतने साल बाद बना इस राशि में गुरु व सूर्य की युति का संयोग, इन लोगो को मिलेगा लाभ

ग्वालियर। सूर्य के नजदीक गुरु ग्रह के आने से गुरु बृहस्पति अस्त हो रहे हैं। इसके साथ ही शादियों पर विराम लग जाएगा। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि सूर्य देव मकर राशि को छोड़कर कुंभ राशि में प्रवेश कर चुके है। जब कोई ग्रह सूर्य के पास आता है तो वह अस्त हो जाता है। 22 फरवरी गुरु बृहस्पति के अस्त होने के बाद से न मांगलिक कार्यक्रम होंगे न शहनाई बजेगी। कुंभ राशि में सूर्य व गुरु की युति 12 साल बाद बन रही है। इससे पहले कुंभ राशि में गुरु और शनि की युति बनी थी।

 

बृहस्पति ग्रह को गुरु कहा जाता है। ये ग्रह धनु और मीन राशि का स्वामी ग्रह हैं। गुरु ज्ञान, शिक्षा, दान, पुण्य व धार्मिक कार्य के कारक माने जाते हैं। ज्योतिष की मानें तो जिस व्यक्ति पर इस ग्रह की कृपा बरसती है उसका जीवन खुशहाल रहता है। गुरु ग्रह कुंभ राशि में गोचर कर रहा है। इस ग्रह के अस्त होने की अवधि 22 फरवरी से 23 मार्च तक रहेगी।

 

 

यदि किसी जातक की कुंडली में कोई ग्रह सूर्य ग्रह के समीप जाकर अस्त होता है तो वह बलहीन हो जाता है। किसी भी ग्रह के अस्त होने पर उनका प्रभाव उनका बल उनकी सभी शक्ति क्षीण हो जाती है फिर चाहे वह किसी मूल त्रिकोण या उच्च राशि में ही क्यों न हों वह अच्छे परिणाम देने में असमर्थ हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार एक अस्त ग्रह एक बलहीन व अस्वस्थ राजा के सामान होता है। कोई भी अस्त ग्रह अपने साथ-साथ जिस भाव में वह उपस्थित है उसके भी फलों में विलम्ब उत्पन्न करता है। मसलन, यदि किसी जातक की कुंडली में बृहस्पति ग्रह अस्त हो जाता है और वह सप्तम भाव में स्थित हो तो वह न केवल स्त्री सुख में बाधा बल्कि जातक की विवेक शीलता में भी कमी उत्पन्न करता है। अस्त ग्रह दुष्फल तो देते ही हैं लेकिन त्रिक भावों में उनके अशुभ फलों की अधिकता और भी बढ़ जाती है। अस्त ग्रह किसी नीच की राशि, दूषित स्थान, शत्रु राशि या अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हो तो उसका परिणाम और भी हानिकारक हो जाता है। इसलिए किसी भी कुंडली के विश्लेषण में अस्त ग्रह का विश्लेषण कर लेना आवश्यक होता है।

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