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Saturday, March 29, 2025

आलाकमान की ना के बाद अब यंत्र, तंत्र, मंत्र… प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए क्या नहीं कर रहे हैं नरोत्तम मिश्रा!

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भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति में बीजेपी का प्रदेशाध्यक्ष पद एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद, संगठनात्मक नेतृत्व में बदलाव की अटकलें तेज़ हैं। इस दौड़ में अनेक नाम है प्रदेश की राजनीति में अपनी धाक जमाने वाले मिश्रा इस पद को पाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वे न केवल राजनीतिक स्तर पर बल्कि तंत्र मंत्र और रणनीतिक मोर्चे पर भी पूरी सक्रियता दिखा रहे हैं।

राजनीतिक समीकरण साधने में माहिर…

नरोत्तम मिश्रा ने अपने समर्थकों को ये भरोसा दिलाया है कि गृहमंत्री अमित शाह तथा बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के साथ उनकी गहरी नज़दीकियां हैं। इसलिए प्रदेशाध्यक्ष वही बनेंगे।

अब तंत्र मंत्र और आध्यात्मिकता का भी ले रहे सहारा…

बीजेपी की राजनीति में हिंदुत्व और धर्म की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। नरोत्तम मिश्रा इस बात को भली-भांति समझते हैं। वे नियमित रूप से मंदिरों के दौरे कर रहे हैं, धार्मिक अनुष्ठान करवा रहे हैं और अपनी छवि को एक ‘हिंदुत्ववादी नेता’ के रूप में और मजबूत कर रहे हैं। उज्जैन के महाकालेश्वर से लेकर दतिया के पीतांबरा पीठ तक, वे विभिन्न तीर्थस्थलों पर विशेष पूजा-अर्चना में भाग लेते नजर आ रहे हैं।

कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, वे अपने समर्थकों और स्वयं विशेष हवन और यज्ञ करवा रहे हैं ताकि उनके राजनीतिक सफर में कोई बाधा न आए। यह रणनीति न केवल धार्मिक आस्था के चलते जनता को जोड़ने का प्रयास है, बल्कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को यह संदेश देने का भी कि वे हिंदुत्व एजेंडा को मजबूती से आगे बढ़ा सकते हैं।

संगठन में समर्थन जुटाने की कवायद भी की शुरू…

बीजेपी में प्रदेशाध्यक्ष बनने के लिए केवल दिल्ली दरबार की मंजूरी काफी नहीं होती। संगठन में ज़मीनी स्तर पर मजबूत पकड़ भी जरूरी होती है। इसीलिए नरोत्तम मिश्रा लगातार प्रदेशभर के वरिष्ठ नेताओं, विधायकों, सांसदों और संघ से जुड़े पदाधिकारियों से मुलाकात कर रहे हैं।

बताया जा रहा है कि वे संघ के कुछ प्रमुख नेताओं के संपर्क में हैं और उन्हें यह विश्वास दिलाने में जुटे हैं कि वे संगठन को मजबूती देने के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प हैं। हालांकि, संघ का झुकाव अब तक किसी एक उम्मीदवार की ओर स्पष्ट रूप से नहीं दिखा है, लेकिन मिश्रा इस दिशा में प्रयासरत हैं।

मीडिया मैनेजमेंट और छवि निर्माण…

नरोत्तम मिश्रा मीडिया की ताकत को भी बखूबी समझते है शिवराज सरकार में वो जनसंपर्क मंत्री भी रहे है इसलिए वो मीडिया मैनेजमेंट बखूबी जानते हैं इसका वो भरपूर उपयोग कर रहे हैं। ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप ग्रुप्स के जरिए वे अपनी गतिविधियों को प्रदेशभर में प्रचारित कर रहे हैं। उनके समर्थकों की एक मजबूत डिजिटल टीम भी इस दिशा में सक्रिय है।

हालांकि, केंद्रीय नेतृत्व उनके नाम पर पहले ही क्रास लगा चुका है नरोत्तम मिश्रा की राह इतनी आसान नहीं है। बीजेपी में ही कई अन्य नेता इस पद के लिए सक्रिय हैं। हेमंत खंडेलवाल, वीडी शर्मा, भूपेंद्र सिंह और गोपाल भार्गव, लाल सिंह आर्य, फग्गन सिंह कुलस्ते जैसे बड़े नाम भी संगठन में अपनी पकड़ बनाए हुए हैं।

इसके अलावा, कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि प्रदेश की राजनीति में एक गुट ऐसा भी है जो मिश्रा के अत्यधिक आक्रामक रवैये से असहज महसूस करता है। यही कारण है कि उनकी दावेदारी को लेकर अंदरखाने विरोध के स्वर भी सुनाई दे रहे हैं।

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