नई दिल्ली। संसद में Agricultural Bill की वजह से बीजेपी के ही सदस्य अपनी पार्टी का ही विरोध कर रहे है। Prime Minister Narendra Modi ने 11 सितम्बर को बिहार में एक पुल समेत 12 रेल परियजानाओं का उद्घाटन किया। इस दौरान एक संबोधन में पीएम ने कृषि बिल Agricultural Bills पर भी चर्चा की। पीएम ने कहा कि कुछ लोग बिचौलियों का साथ देना चाह रहे हैं, उन्होंने कहा कि जितना काम किसानों के लिए कभी नहीं हुआ था वह इन 6 सालों में हुआ। मौजूदा विधेयकों का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि इससे किसान सभी बंधनों से मुक्त हो जाएगा और वह अपनी फसल खुद उगा कर अपनी कमाई बढ़ाएगा।
हम आपको बता दे मंगलवार को Agricultural Bill से संबंधित अध्यादेश पर संसद में विधेयक लाने वाली केंद्र की मोदी सरकार को विपक्ष के साथ-साथ उनके साथियों से भी झटका लगा। विधेयक को किसान विरोधी बताते हुए केंद्रीय मंत्री और शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने गुरुवार रात मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, लोकसभा में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य, संवर्द्धन और सुविधा विधेयक-2020, कृषक सशक्तिकरण एवं संरक्षण, कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 साढ़े पांच घंटे की चर्चा के बाद पारित हो गया। इस दौरान विपक्ष ने वॉकआउट किया। वहीं, इससे संबंधित आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल मंगलवार को ही पास हो चुका है।
बिल में ऐसा क्या है जो हो रहा विरोध, जानिए –
किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 में एक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का प्रावधान किया गया है। इसमें किसान और व्यापारी विभिन्न राज्य कृषि उपज विपणन विधानों के तहत अधिसूचित बाजारों के भौतिक परिसरों या सम-बाजारों से बाहर पारदर्शी और बाधारहित प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक व्यापार चैनलों के माध्यम से किसानों की उपज की खरीद और बिक्री लाभदायक मूल्यों पर करने से संबंधित चयन की सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। वहीं, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 में कृषि समझौतों पर राष्ट्रीय ढांचे के लिए प्रावधान है, जो किसानों को कृषि व्यापार फर्मों, प्रोसेसरों, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुद्दार विक्रेताओं के साथ कृषि सेवाओं और एक उचित तथा पारदर्शी तरीके से आपसी सहमति वाला लाभदायक मूल्य ढांचा उपलब्ध कराता है।
इससे किसान अब अपनी उपज कहीं भी बेच सकेंगे और बेहतर दाम मिलेंगे। ऑनलाइन बिक्री कर सकेंगे। किसानों की आय बढ़ेगी। बिचौलिए खत्म हो जायेंगे, और एक आपूर्ति चेन तैयार होगा। अनाज, दलहन, खाद्य तेल, आलू-प्याज अनिवार्य वस्तु नहीं रहेगी। इनका भंडारण होगा। कृषि में विदेशी निवेश भी आकर्षित होगा।
मंडियां खत्म हो गईं तो किसानों को एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा। वन नेशन वन एमएसपी होना चाहिए। कीमतें तय करने का कोई मैकेनिज्म नहीं है। डर है कि इससे निजी कंपनियों को किसानों के शोषण का जरिया मिल जाएगा। किसान मजदूर बन जाएगा। कारोबारी जमाखोरी करेंगे। इससे कीमतों में अस्थिरता आएगी। खाद्य सुरक्षा खत्म हो जाएगी। इससे आवश्यक वस्तुओं की कालाबाजारी बढ़ सकती है।