नई दिल्ली |कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानूनों का समर्थन कर रहे किसानों के एक समूह से सोमवार को कहा कि नये विधानों से कृषकों और खेती-बाड़ी को लाभ होगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ऐसे आंदोलनों से निपटेगी। पद्मश्री से सम्मानित कंवल सिंह चव्हान की अगुवाई में 20 ‘प्रगतिशील किसानों’ के प्रतिनिधि मंडल ने कृषि मंत्री के साथ बैठक में कहा कि सरकार नये कृषि कानूनों के कुछ प्रावधानों को संशोधित करे लेकिन उसे (कानूनों को) निरस्त नहीं करना चाहिए।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानो को लेकर कही ये बात
प्रतिनिधि मंडल में शामिल सदस्यों ने कहा कि वे कृषक हैं और किसान उत्पादक संगठनों के प्रतिनिधि हैं। प्रतिनिधि मंडल में भारतीय किसान यूनियन (अतर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अतर सिंह संधु भी शामिल थे। संधु ने कहा कि ‘‘हम नये कृषि कानूनों का समर्थन करते हैं, यदि एम एसपी के बारे में लिखित में दे दिया जाता है तो सभी समस्या दूर हो जायेगी। समूह ने यह भी कहा कि विरोध कर रहे किसानों को राजनीतिक लाभ के लिये ‘‘भ्रमित’’ किया गया है। जब्त किसान प्रतिनिधि मंडल के साथ यह बैठक भारत बंद से एक दिन पहले हुई। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों ने मंगलवार को भारत बंद का आह्वान किया है।
हालांकि, प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच अगली बैठक नौ दिसंबर को प्रस्तावित है। प्रतिनिधिमंडल को संबोधित करते हुए तोमर ने कहा, ‘‘ऐसे चलेगा आंदोलन वगेरा … इससे तो निपटेंगे। आप लोग इन कानूनों का समर्थन करने के लिये पहुंचे हैं, आपका हृदय से स्वागत और धन्यवाद करता हूं।
उन्होंने कहा कि इस कानून से किसान और पूरे कृषि क्षेत्र को लाभ होगा। कृषि क्षेत्र में सुधारों से गांवों में रोजगार पैदा होंगे और कृषि लाभकारी बनेगी। बीस किसानों के समूह ने अपने ज्ञापन में सरकार से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के सुझावों के अनुसार संशोधन पर विचार करने की मांग की। हालांकि, उन्होंने कानूनों को निरस्त नहीं करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘किसान संगठनों के सुझावों पर विचार किये जाएं और कृषि कानूनों को बनाये रखा जाए।
यह सुनिश्चित किया जाए कि न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी व्यवस्था बनी रहे। हम आपसे कृषि कानूनों को बनाये रखने का आग्रह करते हैं।’’ सरकार और कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे किसानों के प्रतिनिधियों के बीच पांच दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई सहमति नहीं बन पायी है। विरोध कर रहे किसान इन कानूनों को निरस्त किये जाने की मांग पर अड़े हैं। सरकार का कहना है कि ये तीनों कृषि कानून किसानों के हित में हैं। इनसे किसानों को उपनी उपज देश में कहीं भी बेचने की स्वतंत्रता मिलेगी और बिचौलियों की भूमिका समाप्त होगी।
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