ग्वालियर | मध्यप्रदेश कई तरह के फल और सब्जियों को अब कई दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकेगा। इनके स्वाद में भी बदलाव नहीं आएगा। ऐसा एग्रीकल्चर कॉलेज की दो छात्राओं हिना मांझी और संतरा बल्के द्वारा तैयार किए हर्बल कोटिंग से संभव हाेगा। एमएससी फाइनल ईयर की इन छत्राओं ने यह कोटिंग ग्वारपाठा, सहजन के पेड़ की पत्तियों, चिटोसिन, कॉर्न स्टार्च, कैल्शियम ग्लूकोनेट और एल्गीनेट से तैयार की हैं।
इनमें फल और सब्जी को एक बार डुबाेकर रखा जाता है और फिर इन्हें कई दिनों तक कमरे के तापमान में सुरक्षित रखा जा सकता है। छात्राओं ने इस प्रयोग की शुरुआत दिसंबर-2020 में की थी। हॉर्टिकल्चर के एचओडी डॉ. राजेश लेखी ने बताया कि यह पहले चरण का प्रयोग है। अब दूसरे चरण का प्रयोग सब्जियों पर किया जाएगा।
कोटिंग फल की ताजगी और अंदर के तत्व डिजिटल हैंड रिफ्लेक्टो मीटर के जरिए जांचे गए। इसमें टोटल सॉल्यूबल सॉलिड्स (टीएसएस) और शुगर पूरी तरह सही पाए गए। फल में शुगर 12% डिग्री ब्रिक्स में होना जरूरी होती है। कोटिंग के कई दिनों बाद यह मात्रा इतनी ही पाई गई। डॉ. राजेश लेखी के मुताबिक बाजार के फलों पर सिंथेटिक वैक्स या केमिकल की कोटिंग होती है, जो नुकसादायक है। छात्राओं ने हर्बल कोटिंग तैयार की है। इस कोटिंग के फल बिना धुले भी खाए जा सकते हैं।