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नहीं सुधरी Air India, सरकारी सिस्टम में ‘होल’, केंद्रीय मंत्री शिवराज ने खोल दी पोल

भोपाल। केंद्रीय कृषि मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का एयर इंडिया की फ्लाइट में टूटी सीट पर बैठने का अनुभव एक गंभीर मुद्दे को उजागर करता है। उनकी यह घटना न केवल उनकी असुविधा को दर्शाती है, बल्कि एयर इंडिया की व्यवस्था पर भी बड़े सवाल खड़े करती है। 21 फरवरी 2025 को भोपाल से दिल्ली जाने के लिए शिवराज चौहान ने एयर इंडिया की फ्लाइट AI436 बुक की थी। उन्हें सीट क्रमांक 8C आवंटित किया गया, जो बाद में उनके लिए परेशानी का कारण बन गई।

फ्लाइट AI436: एयर इंडिया की खस्ता हालत

शिवराज चौहान ने अपने ट्वीट में इस बात का उल्लेख किया कि जब वह अपनी सीट पर पहुंचे, तो उन्हें एक टूटी हुई सीट मिली। सीट अंदर धंसी हुई थी और बैठने में बहुत तकलीफ हो रही थी। मंत्री ने विमानकर्मियों से शिकायत की तो उनका जवाब चौंकाने वाला था। विमानकर्मियों ने बताया कि एयरलाइन प्रबंधन को पहले ही सूचित कर दिया गया था कि यह सीट ठीक नहीं है और इसे टिकट के लिए उपलब्ध नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन बावजूद इसके, यह सीट यात्रा के लिए ग्राहकों को आवंटित की गई थी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि ऐसी एक नहीं, बल्कि और भी सीटें खराब स्थिति में थीं, जिन्हें टिकट के लिए बेचा गया था।

शिवराज चौहान ने ट्वीट में यह भी बताया कि सहयात्रियों ने उन्हें सीट बदलने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने इसका विरोध किया और कहा कि “मैं क्यों अपने साथी यात्रियों को तकलीफ दूं?” उन्होंने यह निर्णय लिया कि वह उसी टूटी हुई सीट पर बैठकर यात्रा पूरी करेंगे। उनका कहना था, “जब मैंने यह स्थिति देखी, तो मुझे लगा कि यह एक गलत बात है और मैं इस पर कोई समझौता नहीं करूंगा।”

एयर इंडिया की सेवा पर सवाल

शिवराज चौहान ने ट्वीट में कहा कि उनका मानना था कि टाटा ग्रुप द्वारा एयर इंडिया के प्रबंधन की जिम्मेदारी लेने के बाद एयरलाइन की सेवा में सुधार हुआ होगा, लेकिन उनकी यह धारणा गलत साबित हुई। वह यह मानते थे कि एयर इंडिया की सेवा में सुधार के बाद अब यात्रियों को इस तरह की असुविधाओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। लेकिन टूटी सीट पर बैठने का अनुभव उनके लिए एक कड़वा सच साबित हुआ।

अनैतिकता और धोखाधड़ी का आरोप

शिवराज चौहान ने एयर इंडिया की इस लापरवाही को गंभीर रूप से उठाते हुए कहा, “यात्री से पूरा पैसा लिया जाता है, लेकिन फिर उन्हें खराब और कष्टकारी सीट पर बैठाना अनैतिक है। क्या यह यात्रियों के साथ धोखा नहीं है?” उन्होंने पूछा कि एयर इंडिया प्रबंधन क्या इस तरह की समस्याओं को रोकने के लिए कोई कदम उठाएगा या फिर यात्रियों की मजबूरी का फायदा उठाया जाएगा?

उनका यह सवाल न केवल एयर इंडिया के प्रबंधन पर बल्कि सरकार की निगरानी व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल उठाता है। क्या यात्री की सुरक्षा, आराम और सेवा की गुणवत्ता सरकार की प्राथमिकता है? क्या सरकार इस तरह की असुविधाओं पर कड़ी कार्रवाई करेगी?

क्या कदम उठाएगा एयर इंडिया प्रबंधन?

यह मुद्दा केवल एक व्यक्ति की असुविधा का नहीं है, बल्कि यह पूरे एयरलाइन उद्योग और सरकारी निगरानी व्यवस्था की ओर भी इशारा करता है। क्या एयर इंडिया प्रबंधन इस मुद्दे को हल करने के लिए शीघ्र कदम उठाएगा? क्या भविष्य में किसी भी यात्री को ऐसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा? यह सवाल केवल यात्रियों के अधिकारों का नहीं, बल्कि एयर इंडिया की प्रतिष्ठा और सरकार की जिम्मेदारी का भी है। यदि यात्रियों से अच्छे सेवा का वादा किया जाता है, तो क्या यह जरूरी नहीं है कि एयरलाइन अपनी बुनियादी सुविधाओं की गुणवत्ता को सुनिश्चित करें?

यात्रा के दौरान मंत्री का दृष्टिकोण

शिवराज चौहान ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें बैठने में कोई कष्ट नहीं था, लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण था, वह यह था कि यात्रा के लिए पैसा वसूलने के बाद यात्रियों को खराब सीट पर बैठाना एक अस्वीकार्य व्यवहार है। उनके मुताबिक, यात्रियों को सही और आरामदायक सीटें मिलनी चाहिए, खासकर जब वे अपने पैसे चुका रहे हों। इस घटना ने न केवल एयर इंडिया की सेवा के स्तर पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह पूरे एयरलाइन उद्योग और यात्री सुरक्षा के मानकों पर भी बहस को जन्म दे रहा है।

 

 

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