Air India Plane Crash: कप्तान सुमित सभरवाल के सम्मान में परिवार ने किया अंतिम संस्कार की तैयारी

Air India Plane Crash: एयर इंडिया विमान हादसे के बाद कैप्टन सुमित सबरवाल का पार्थिव शरीर मंगलवार को मुंबई लाया गया। एक अधिकारी ने जानकारी दी कि सुबह सुमित सबरवाल का शव फ्लाइट से मुंबई एयरपोर्ट पर पहुंचा और फिर उनके परिवारजन उसे पवई स्थित जलवायु विहार में उनके निवास स्थान पर ले गए। जैसे ही पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा तो वहां मौजूद हर आंख नम हो गई। उनके पड़ोसी और जानने वाले लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी संख्या में जुटे। कुछ देर तक शव को घर पर रखा गया ताकि उनके परिचित और चाहने वाले उन्हें अंतिम बार देख सकें।

कैप्टन सुमित का पार्थिव शरीर उनके घर में लगभग एक घंटे तक रखा गया। इस दौरान वहां शांति और उदासी का माहौल रहा। उनके करीबी लोगों ने फूलों से सजी अर्थी को श्रद्धासुमन अर्पित किए। इसके बाद अंतिम यात्रा शुरू हुई और उन्हें चाकला इलेक्ट्रिक शवदाह गृह ले जाया गया जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम विदाई के दौरान हर किसी की आंखों में आंसू थे। जो भी उन्हें जानता था वह यह मानने को तैयार नहीं था कि इतने अनुभवी और जिम्मेदार पायलट इस तरह अचानक हमसे दूर हो जाएंगे।

8200 घंटे का उड़ान अनुभव था कैप्टन सुमित के पास

कैप्टन सुमित सबरवाल को उड़ान के क्षेत्र में काफी अनुभव था। उनके पास कुल 8200 घंटे की उड़ान का अनुभव था और वे एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 को लंदन ले जा रहे थे। विमान में कुल 242 यात्री और क्रू मेंबर्स सवार थे। हादसा 12 जून को अहमदाबाद में हुआ जब विमान ने उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद क्रैश कर दिया। इस फ्लाइट की कमान सुमित सबरवाल के हाथ में थी और उनके साथ सह-पायलट क्लाइव कुंदर भी मौजूद थे जिनके पास 1100 घंटे की उड़ान का अनुभव था। यह हादसा न सिर्फ एयर इंडिया बल्कि पूरे देश के लिए बहुत बड़ा झटका था।

पिता की आंखों से बहा दर्द का सैलाब

जब बेटे सुमित का पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो उनके पिता का दर्द फूट पड़ा। उन्होंने बेटे को folded hands के साथ अंतिम विदाई दी। उनके पिता ने कहा कि उन्हें अब भी विश्वास नहीं हो रहा कि उनका बेटा अब कभी दरवाज़ा नहीं खोलेगा। बुजुर्ग मां-बाप का सहारा छिन जाना किसी भी परिवार के लिए सबसे बड़ी पीड़ा होती है। उन्होंने रोते हुए कहा कि उनका बेटा अपने कर्तव्य के प्रति हमेशा ईमानदार था और उसने अंत तक अपने यात्रियों की ज़िंदगी के लिए संघर्ष किया। कैप्टन सुमित की यह अंतिम विदाई पूरे देश के लिए एक भावुक क्षण बन गई।

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