ग्वालियर। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 16 अक्टूबर को मध्य प्रदेश के दौरे पर हैं। वे ग्वालियर में भी रहेंगे। इस दौरान वे सिंधिया घराने के महल जय विलास पैलेस में करीब डेढ़ घंटे तक रहेंगे। इसी बात पर राजनीतिक चर्चाएं होने लगी हैं। बताया तो ये जा रहा है कि अमित शाह केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के घर पहुंचकर भोजन करेंगे और परिवार से मुलाकात करेंगे। पर इस मुलाकात के कई मायने निकाले जाने लगे हैं। वही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 16 अक्टूबर को मध्य प्रदेश पहुंचे हैं। भोपाल में आयोजित कार्यक्रम के बाद वे रविवार दोपहर करीब तीन बजे बाद ग्वालियर पहुंचेंगे। यहां वे नवीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद अमित शाह सीधे मेला ग्राउंड स्थित सभा स्थल पर पहुंचेंगे, जहां पर आमसभा को संबोधित करेंगे। इसके बाद शाह सिंधिया के महल जय विलास पैलेस पहुंचेंगे। इस महल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह डेढ़ घंटे तक रुकेंगे। अमित शाह की मेहमाननवाजी के लिए सिंधिया और उनका परिवार मौजूद रहेगा।
डेढ़ घंटे तक सिंधिया और अमित शाह का साथ रहना कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे रहा है। प्रदेशभर के भाजपा नेताओं की नजर इस मुलाकात के असर पर रहेगी। चर्चा ये भी है कि कहीं प्रदेश की कमान सिंधिया को तो नहीं सौंपी जाने की तैयारी है। इस बात को बल इसलिए भी मिल रहा है कि कुछ दिन पहले नरेंद्र मोदी उज्जैन में थे तब भी सिंधिया उनके करीब नजर आए थे। अब अमित शाह उनके घर पहुंच रहे हैं। दो बड़े दिग्गजों से सिंधिया की नजदीकियां कुछ तो इशारा कर रही हैं।
प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। पिछली बार के चुनावों में शिवराज का चेहरा सामने था, पर कांग्रेस की सरकार बन गई। सिंधिया के भाजपा में आने पर सत्ता परिवर्तन हुआ। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार प्रदेश में नया चेहरा सामने लाया जाए। पिछली बार भाजपा को मालवा-निमाड़ में काफी नुकसान उठाना पड़ा था, और यही गड्ढा भाजपा को दुख दे गया। अब सिंधिया के भाजपा में आने से मालवा-निमाड़ में फिर भाजपा मजबूत नजर आ रही है। राज्यवर्धन दत्तीगांव, तुलसी सिलावट, हरदीप सिंह डंग जैसे नेता भाजपा को मजबूत कर रहे हैं, जो सिंधिया के कट्टर समर्थक कहे जाते हैं।
अगर भाजपा चेहरा बदलती भी है तो नया चेहरा किसका होगा। इस बारे में कई नेताओं के नाम सामने आते हैं पर सबसे मजबूत फिलहाल ज्योतिरादित्य सिंधिया माने जा रहे हैं। पिछली बार कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने के पीछे कहीं न कहीं सिंधिया थे। कहा तो ये भी जाता है कि उनके चेहरे के दम पर कांग्रेस सरकार बना पाई थी। भाजपा में आने के बाद सिंधिया ने प्रदेश के लोगों से जुड़ाव के लिए खुद में काफी परिवर्तन किया है। वे महाराजा वाली छवि से बाहर निकले हैं। सड़कों पर झाड़ू लगाने से लेकर दलितों के घर खाना खाने तक सब कर रहे हैं। उनकी शिवराज खेमे से अलग नेताओं से नजदीकियां बढ़ी हैं। संघ के नेताओं से संपर्क बढ़ा है।
आपको बात दे एक बात और कि सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे बड़ौदा राजघराने से ताल्लुक रखती हैं। कहा जाता है कि 2014 के चुनाव में बड़ौदा राज परिवार से ताल्लुक रखने वाली शुभंगिनी गायकवाड नरेंद्र मोदी की प्रस्तावक बनी थीं। पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के ससुराल वालों से अच्छे संबंध हैं और कहा यह भी जाता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी में शामिल होने का श्रेय उनकी ससुराल वालों को ही जाता है