ग्वालियर। जहाँ एक ओर शहर में मौतों का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है। हर दिन संक्रमितों की संख्या बेतहाशा बड़ रही है। ऐसे में पीड़ितों को ऑक्सीजन और बेहतर इलाज़ मुहैया कराने की बजाय नेता अपनी आपसी खींचतान और राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगे हुए हैं।जबकि जनता को उसके हाल पर छोड़ दिया है।
मंत्री तोमर और सांसद सिंधिया पर लगाये आरोप…
ग्वालियर में भी कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला। जहां भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष देवेश शर्मा राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और कोविड प्रभारी मंत्री प्रधुम्न सिंह तोमर पर झूठा आश्वासन देने का आरोप लगाकर मंत्री तोमर के रेसकोर्स रोड स्थित सरकारी 38 नंबर बंगले के आगे देर रात धरने पर बैठ गए। देवेश शर्मा के मुताबिक मंत्री प्रधुम्न सिंह तोमर को उनके द्वारा पिछले 3 दिन से शहर में ऑक्सीजन और रेमडिसिवर इंजेक्शन की कमी से लगातार मर रहे लोगों के लिए इलाज़ और इंजेक्शन की व्यवस्था को लेकर चेताया जा रहा था।
लेकिन बार बार गुहार लगाने के बाद भी मंत्री तोमर के कानों में एक जु तक नही रेंगी। उन्होंने इंजेक्शन और ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए कोई ध्यान नही दिया। देवेश शर्मा ने राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि सिंधिया जी ने 10 हज़ार इंजेक्शन खरीदकर मध्यप्रदेश को देने की बात कही थी। लेकिन वो भी सिर्फ झूठा आश्वासन ही साबित हुआ। हालात ये है कि लगातार लोग मरते जा रहे हैं। और मंत्री जी आश्वासन पर आश्वाशन दिए जा रहे हैं। उनका कहना है की प्रशासन अपने स्तर पर कार्य करने मे जुटा है। लेकिन नेताओं के दबाब में प्रशासन बोना बन गया है। और कोरोना महामारी को कंट्रोल नही कर पा रहा है। शासन द्वारा शहर में आवंटित इंजेक्शन ज़रूरतमंदो को न मिलते हुए। ऐसे लोगों को दिए जा रहे हैं। जिन्हें इसकी जरूरत नही है। और जिसकी मोनिटरिंग प्रशासन द्वारा नही की जा रही है। जिससे व्यथित होकर उन्हें अपनी ही सरकार के मंत्री के खिलाफ बंगले के बाहर धरने पर बैठना पड़ा।
मंत्री तोमर ने धरना ख़त्म करने की करी गुजारिश…
प्रधुम्न सिंह तोमर को जब देवेश शर्मा के बंगले के बाहर धरने की बात पता लगी। तो मंत्री तोमर ने उनके पैरों में सर रखकर धरना समाप्त करने की बात कही। साथ ही उनकी समस्याओं का जल्द निराकरण करने का आश्वासन दिया।
सोशल मीडिया पर शुरू हुआ चर्चाओं का दौर…
देवेश शर्मा के धरने के बाद सोशल मीडिया पर चर्चा का दौर शुरू हो गया। कई इसे अपनी ही सरकार के मंत्री के खिलाफ धरने को साहसी कदम बता रहे हैं। और कई लोग दबी जुबान में इसे केंद्रीय मंत्री जी के इशारे पर मंत्री तोमर की बढ़ती लोकप्रियता के चलते उनकी छवि धुमिल करने का षड्यंत्र बता रहे हैं।
वजह चाहे जो भी हो सच तो यही है कि जनता नेताओं की खींचतान में हर दिन मार रही है नेताओं को चाहिए कि मौजूदा संकट के इस दौर में सभी को बिना किसी राजनीति के एक साथ जुट कर लोगों की समस्याओं का निराकरण करना चाहिए।