गौरी मोदी: हिंदू धर्म के अनुसार, पुराणों में भूतकाल से लेकर भविष्य तक की कई बातें दर्ज हैं। पृथ्वी की उम्र लगभग 4.54 अरब वर्ष और जीवन की उत्पत्ति लगभग 3.8 अरब वर्ष पहले हुई थी। इन घटनाओं को हिंदू पुराणों में चार युगों में विभाजित किया गया है:
1. सतयुग (17,28,000 वर्ष): यह युग धर्म, सत्य, योग और सद्गुणों का युग था।
2. त्रेतायुग (12,96,000 वर्ष): इस युग में सत्य, दया, तप और दान में कमी आई।
3. द्वापरयुग (8,64,000 वर्ष): इस युग में धर्म का प्रभाव बढ़ा।
4. कलियुग (4,32,000 वर्ष): वर्तमान युग, जिसमें अधर्म, अन्याय और पाप अपने चरम पर हैं।
इन चार युगों को धर्म के चार पैरों की तरह मापा गया है, जिसमें हर युग के अंत में धर्म का एक पैर टूटता जा रहा है। पुराणों में प्रत्येक युग और उनके अंतर्गत होने वाली घटनाओं का वर्णन किया गया है, विशेष रूप से वर्तमान युग का उल्लेख महत्वपूर्ण है। यहाँ हम भविष्य के अच्छे और बुरे पहलुओं का संक्षिप्त आकलन करते हैं:
अच्छे पहलू: सकारात्मक भविष्यवाणियाँ
1. धर्म के प्रति जागरूकता:
मत्स्य पुराण में भविष्य का एक अच्छा पहलू वर्णित है, जिसमें बताया गया है कि कलियुग के अंतिम चरण में धर्म और सत्य का पुनः प्रवर्तन होगा। भगवान विष्णु के दसवे अवतार (कालकी अवतार) के जन्म के समय धर्म और सत्य का पुनरुत्थान होगा।
2. समाज में जागरूकता:
पुराणों के अनुसार, भविष्य में समाज में सच्चाई, प्रेम, भाईचारे और नैतिकता की भावना बढ़ेगी। धर्म और सत्य के प्रति बढ़ती रुचि से समाज में सदाचार और सद्गुणों का प्रचार-प्रसार होगा।
3. ज्ञान और विज्ञान का विकास:
पुराणों में उल्लेख है कि तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति तेजी से होगी, जिससे मानव जीवन में सुधार होगा और जीवन को सरल बनाया जाएगा।
बुरे पहलू: नकारात्मक भविष्यवाणियाँ
1. धर्म की आड़ में बढ़ता हुआ अधर्म:
पुराणों में भविष्यवाणी की गई है कि धर्म, न्याय और सत्य की आड़ में अधर्म, अन्याय और झूठ का प्रचलन बढ़ेगा। नैतिक मूल्यों का अंत होगा, और समाज में झूठ, छल, कपट, भ्रष्टाचार, अपराध और सामाजिक असंतोष बढ़ेगा।
2. प्रकृति का प्रकोप:
पुराणों के अनुसार, धरती के प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन और जीवन का दुरुपयोग प्राकृतिक आपदाओं का कारण बनेगा। जैसे-जैसे धर्म में कमी आएगी, पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन समाज के लिए गंभीर समस्याएँ पैदा करेगा।
3. सामाजिक चुनौतियाँ:
पुराणों में वर्णित है कि सामाजिक चुनौतियाँ विभिन्न युगों से समाज को प्रभावित करती आ रही हैं। यदि हम अपने कर्मों का पालन नहीं करते, तो इन चुनौतियों का परिणाम विनाशकारी हो सकता है। भविष्य में प्रेम और घृणा के बीच का अंतर बढ़ेगा, आर्थिक और सामाजिक असमानता बढ़ेगी, और हिंसा का प्रकोप बढ़ेगा।
भविष्य कैसा होगा?
भविष्य हमारे कर्मों पर निर्भर करता है। यदि हम धर्म का पालन करते हैं, सत्य बोलते हैं, और अच्छे कर्म करते हैं, तो भविष्य सकारात्मक होगा। लेकिन यदि हम धर्म के मार्ग को छोड़कर बुरे कर्म करते हैं, तो भविष्य वही होगा जैसा पुराणों में वर्णित है। इसलिए हमें अच्छे कर्म करने चाहिए और धर्म का पालन करना चाहिए।
ध्यान दें: पुराणों का अध्ययन जीवन के मूल्यों को समझने में मदद करता है। यह जानकारी सामान्य संदर्भ के लिए है; किसी भी निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।