मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने धार जिले के कलेक्टर प्रियांक मिश्र और जिला पंचायत के तत्कालीन सीईओ शृंगार श्रीवास्तव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने का आदेश दिया है। यह आदेश कोर्ट के आदेश का पालन न करने के कारण जारी हुआ, जिसमें एक कर्मचारी की बहाली से संबंधित निर्देशों की अवहेलना की गई थी।
मामला क्या है?
याचिकाकर्ता मिथुन चौहान, जो धार जिले की ग्राम पंचायत नालछा में ग्राम रोजगार सहायक के पद पर पदस्थ थे, को 2017 में एक दिन की अनुपस्थिति के कारण बिना जांच या सुनवाई का मौका दिए सेवा से हटा दिया गया था। मिथुन ने इस आदेश को चुनौती देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
हाईकोर्ट का आदेश और अवमानना
मिथुन चौहान की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 22 अगस्त 2023 को उनके सेवा समाप्ति आदेश को निरस्त करते हुए उन्हें 50 प्रतिशत पिछले वेतन के साथ बहाल करने का निर्देश दिया था। इस आदेश को राज्य सरकार ने चुनौती दी, लेकिन 3 जुलाई 2024 को अपील खारिज कर दी गई। इसके बाद भी आदेश का पालन नहीं किया गया, जिसके परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका दायर की।
कोर्ट की कार्रवाई
अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को 4 अक्टूबर 2024 को पेश होने का निर्देश दिया, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए। इसके बाद हाईकोर्ट ने कलेक्टर प्रियांक मिश्र और तत्कालीन सीईओ शृंगार श्रीवास्तव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने का आदेश दिया।
यह मामला राज्य प्रशासन की अदालत के आदेशों की अनदेखी पर प्रकाश डालता है, जिससे स्पष्ट होता है कि न्यायिक आदेशों की अवहेलना किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कोर्ट के इस सख्त कदम से यह संदेश जाता है कि अधिकारी कानून के प्रति जवाबदेह हैं और उन्हें निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है।