दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा मोड़ आने जा रहा है, जहां आम आदमी पार्टी (AAP) की वरिष्ठ नेता और मंत्री आतिशी मार्लेना अब राजधानी की मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। उनकी राजनीति और समाज सेवा की यात्रा में कई अहम किस्से जुड़े हुए हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण घटना मध्य प्रदेश के खंडवा जिले से जुड़ी है। 9 साल पहले, 2015 में हुए नर्मदा जल सत्याग्रह आंदोलन में आतिशी ने प्रमुख भूमिका निभाई थी, और यही आंदोलन उनके सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाने वाला एक अहम मोड़ साबित हुआ।
नर्मदा जल सत्याग्रह: 32 दिन तक चलने वाला आंदोलन
अप्रैल 2015 में, ओंकारेश्वर बांध के जल भराव को लेकर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित 11 गांवों के लोग डूब प्रभावित थे। इन गांवों के लोगों ने नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनर तले 32 दिन तक जल सत्याग्रह किया। उनकी मांग थी कि बांध के जल भराव की क्षमता कम की जाए, क्योंकि इसके चलते बगैर पुनर्वास के गांवों को खाली कराया जा रहा था। बांध की जल भराव क्षमता को 191 मीटर तक बढ़ा दिया गया था, जिससे कई परिवारों के घर और जीवन प्रभावित हो रहे थे।
आतिशी की आंदोलन में भूमिका
आम आदमी पार्टी से जुड़ी आतिशी ने इस आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। वह शुरू से ही जल सत्याग्रह में शामिल रहीं और पूरे 32 दिन तक आंदोलनकारियों के साथ डटी रहीं। आंदोलन के अंतिम दिन, आतिशी ने एक प्रभावशाली भाषण दिया, जिसमें उन्होंने तत्कालीन मध्य प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नीतियों की आलोचना की। उनके इस भाषण का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें वह सरकार पर पुनर्वास नीति की विफलता को लेकर तीखे सवाल उठाती नजर आईं।
दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने का सफर
आंदोलन के दौरान न सिर्फ आतिशी ने सामाजिक मुद्दों पर अपनी मजबूत पकड़ और संवेदनशीलता दिखाई, बल्कि आम आदमी पार्टी के आदर्शों के प्रति भी अपनी प्रतिबद्धता साबित की। दिल्ली की शिक्षा और स्वास्थ्य नीतियों को सुधारने में उनके योगदान को देखते हुए, उन्हें पार्टी की एक मजबूत नेता के रूप में पहचाना जाता है। अब जब वह दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं, यह यात्रा उनकी समाज सेवा की जड़ से शुरू होकर शीर्ष पद तक पहुंचने की कहानी बयां करती है।
संवेदनशीलता और नेतृत्व की मिसाल
आतिशी का नर्मदा जल सत्याग्रह में भाग लेना उनकी सामाजिक न्याय और संवेदनशीलता को दर्शाता है। यह वही गुण हैं, जो उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के लिए योग्य बनाते हैं। नर्मदा आंदोलन के दौरान उनकी भूमिका और 32 दिन तक ग्रामीणों के साथ डटे रहने की प्रतिबद्धता, उनकी नेतृत्व क्षमता और संघर्षशीलता की मिसाल है।
आतिशी की इस यात्रा से यह स्पष्ट होता है कि उनकी राजनीतिक सफर का आधार केवल सत्ता नहीं, बल्कि जनता के हित और उनकी समस्याओं का समाधान है।