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Saturday, January 4, 2025

नगर निगम टीम पर हमला, डिप्टी कमिश्नर ने मांगा पुलिस बल, तो थाने से मिला ऐसा जवाब

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इंदौर। नगर निगम की टीम पर हुए हमले में निगम अधिकारी असहाय नजर आए, जबकि पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। घटनास्थल पर मौजूद पुलिसकर्मी मूकदर्शक बने रहे। बाद में जब नगर निगम अधिकारियों ने पुलिस बल की मांग की, तो एक थाने से यह जवाब मिला कि यदि भीड़ ने थाने पर हमला कर दिया तो क्या होगा।

इस बीच, बजरंग दल ने घटना में अपनी संलिप्तता से इनकार नहीं किया। दल का आरोप है कि गोशाला की जमीन को लेकर नेताओं के बीच खेल चल रहा है। घटना के बाद रात करीब आठ बजे नगर निगम ने छुड़ाई गई गायों को वापस बरामद करने के लिए टीमें भेजीं।

पुलिस सुरक्षा में गायों को गोशाला भेजा गया

इससे पहले, पुलिस सुरक्षा में गायों से भरी एक गाड़ी को शासकीय गोशाला भेजा गया। नगर निगम ने कुल 60 से अधिक गायें छुड़ाई थीं, लेकिन करीब 40 गायों को हंगामा करने वालों ने जबरन ले लिया। बुधवार सुबह की घटना में नगर निगम की टीम को घेरने वाले लोगों की संख्या करीब 200 बताई जा रही है।

प्रकरण दर्ज कराने में अधिकारी परेशान

शिकायत दर्ज कराने के लिए निगम अधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। शिकायत लेकर वे कलेक्टर तक पहुंचे। बजरंग दल ने घटना में शामिल होने से इनकार नहीं किया लेकिन आरोप लगाया कि तोड़फोड़ की शुरुआत खुद निगम के कर्मचारियों ने की, ताकि इसे उपद्रव का रूप दिया जा सके। गायों की दुर्गति से नाराज भीड़ ने निगमकर्मियों के साथ मारपीट की।

जमीन पर नजर का आरोप

बजरंग दल के विभाग संयोजक यश बच्छानी ने कहा कि घटना के दौरान हम और हमारे कार्यकर्ता मौके पर मौजूद थे। नगर निगम ने जिस तरह गायों को गाड़ियों में ठूंसकर भरा था, उससे दो गायों के मरने की अफवाह फैली और लोगों में आक्रोश फैल गया। इसके बाद कुछ लोगों ने निगमकर्मियों को पीटा।

बच्छानी ने यह भी आरोप लगाया कि दत्त नगर में जिसे अवैध बाड़ा बताया जा रहा है, वह वास्तव में एक गोशाला है, जिसे एक संत संचालित करते हैं। नगर निगम ने उनकी कुटिया तक तोड़ दी। उनका कहना है कि नेताओं की नजर गोशाला की जमीन पर है, और इसे हड़पने के लिए पूरा षड्यंत्र रचा गया है।

आठ साल पहले भी हुई थी हत्या

पशुपालकों पर कार्रवाई के दौरान हमले की यह पहली घटना नहीं है। आठ साल पहले स्वच्छता अभियान के तहत एक निगमकर्मी शुभम कुशवाह पर चाकू से हमला किया गया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद प्रशासन ने कठोर कार्रवाई करते हुए पशुपालकों के मकानों को ध्वस्त कर दिया था।

पहले भी टाली गई कार्रवाई

बुधवार को जिन दो बाड़ों पर कार्रवाई की गई, उन्हें पहले भी हटाने का प्रयास किया गया था, लेकिन कम से कम तीन बार कार्रवाई टाल दी गई। बाड़े के संचालक जय शर्मा ने कहा कि 23 तारीख को कार्रवाई होनी थी, लेकिन महापौर ने थोड़ा समय देने का आश्वासन दिया था। उनका दावा है कि पुल पर हुई घटना से उनका कोई संबंध नहीं है।

रात को गायों को लेने भेजी गई गाड़ियां

नगर निगम अवैध बाड़ों पर कार्रवाई कर रहा है। निगमायुक्त शिवम वर्मा के अनुसार, कुछ गायें थाना परिसर में थीं, जिन्हें लेने के लिए रात में गाड़ियां भेजी गईं।

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