Barsana Holi 2021 : कोरोना काल होने के बाद भी बरसाने की पहाड़ी पर स्थित राधा रानी के मंदिर पर श्रद्धालुओं की परंपरागत मौजूदगी 30 मार्च को देखी गई। देर रात्रि से ही श्रद्धालुओं का उत्साह जोरो शोरो से था। मंदिर के प्रांगढ़ में श्रद्धालु उत्साह के साथ नाच गाने एवं गुलाल के साथ श्री राधा रानी को अपनी श्रद्धा अर्पित कर रहे थे।
बरसाना की होली
जब बात होली पर्व की होती है तो बरसाना की होली लोगों के लिए काफी आकर्षण का केंद्र रहती है। इसका आकर्षण न केवल मथुरा में बल्कि देश के विभिन्न भागों में यहां तक कि सात समंदर पार भी देखने को मिलता है। बरसाना गांव में होली अलग तरह से खेली जाती है जिसे लठमार होली कहते हैं। इस होली में पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएं उन्हें लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं।
मंदिर में होली
बरसाने में होली का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। बरसाना में लट्ठमार होली की शुरुआत सोलहवीं शताब्दी में हुई थी। तब से बरसाना में यह परंपरा यूं ही निभाई जा रही है, जिसके अनुसार बसंत पंचमी के दिन मंदिर में होली का डांढ़ा गड़ जाने के बाद हर शाम गोस्वामी समाज के लोग धमार गायन करते हैं। प्रसाद में दर्शनार्थियों पर गुलाल बरसाया जाता है। इस दिन राधा जी के मंदिर से पहली चौपाई निकाली जाती है जिसके पीछे-पीछे गोस्वामी समाज के पुरुष झांडा-मंजीरे बजाते हुए होली के पद गाते चलते हैं।
बरसाना की रंगीली गली से होकर बाज़ारों से रंग उड़ाती हुई यह चौपाई सभी को होली के आगमन का एहसास करा देती है। मंदिर में पंडे की अच्छी ख़ासी खातिर की जाती है। यहाँ तक कि उस पर क्विंटल के हिसाब से लड्डू बरसाए जाते हैं जिसे पांडे लीला कहा जाता है। श्रद्धालु राधा जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मंदिर में होती हैं तो उन पर वहाँ के सेवायत चारों तरफ से केसर और इत्र पडे टेसू के रंग और गुलाल की बौछार करते हैं। मंदिर का लंबा चौड़ा प्रांगण रंग-गुलाल से सराबोर हो जाता है।