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Thursday, September 19, 2024

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भारत बंद, जानें क्या-क्या खुला रहेगा

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डेस्क: अनुसूचित जाति और जनजाति आरक्षण में क्रीमीलेयर को शामिल करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में 21 अगस्त को देशभर के विभिन्न दलित संगठनों ने ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। बसपा सहित कई राजनीतिक दलों ने इस बंद का समर्थन किया है।

भारत बंद क्यों बुलाया गया है?
यह बंद सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के विरोध में बुलाया गया है, जिसमें कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण के तहत क्रीमीलेयर के वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) को अनुमति दी है। कोर्ट ने कहा कि सभी एससी और एसटी जातियां एक समान नहीं हैं, और कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं। राज्य सरकारें इन पिछड़ी जातियों के लिए अलग से कोटा निर्धारित कर सकती हैं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 341 के खिलाफ नहीं है। इस फैसले का दलित संगठन विरोध कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस पर पुनर्विचार करे।

भारत बंद के समर्थन में कौन-कौन सी पार्टियां हैं?
भारत बंद के समर्थन में बसपा, भीम आर्मी, भारत आदिवासी पार्टी सहित कई दलित संगठन और राजनीतिक पार्टियां हैं। बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे बंद में भाग लें और जनता को उपवर्गीकरण के बारे में जागरूक करें। कांग्रेस समेत कुछ अन्य पार्टियों के नेता भी इस बंद का समर्थन कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा था कि कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं, और राज्य सरकारें इन जातियों के लिए एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती हैं। लेकिन इस फैसले में दो शर्तें भी लागू की गई हैं:
1. किसी एक जाति को 100% कोटा नहीं दिया जा सकता।
2. किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता डेटा होना चाहिए।

भारत बंद के दौरान क्या खुलेगा और क्या बंद रहेगा?
भारत बंद के दौरान सार्वजनिक परिवहन सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं, और कुछ निजी दफ्तर भी बंद रह सकते हैं। हालांकि, अस्पताल और एंबुलेंस जैसी आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी। सरकारी दफ्तरों और बैंकों के बंद होने को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, इसलिए इनके खुले रहने की संभावना है।

लेटरल एंट्री पर विवाद क्यों?
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में लेटरल एंट्री को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। लेटरल एंट्री के तहत निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को सरकार के बड़े पदों पर सीधी भर्ती की जाती है। सरकार ने हाल ही में 45 अधिकारियों की भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली थी। विवाद इस बात को लेकर है कि क्या इस भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण लागू होगा या नहीं। भाजपा आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने कहा है कि लेटरल वैकेंसी में वे ही आरक्षण के नियम लागू होंगे, जो यूपीएससी की अन्य परीक्षाओं में होते हैं।

हालांकि, सरकार ने कानूनी तकनीकी कारणों का लाभ उठाते हुए तीन से कम पदों के लिए विज्ञापन जारी किया है, जिसमें आरक्षण लागू नहीं होता। सरकार ने आज लेटरल एंट्री भर्ती को रद्द कर दिया है।

रोस्टर सिस्टम क्या है?
सरकारी नौकरियों में आरक्षण लागू करने के लिए रोस्टर सिस्टम का उपयोग किया जाता है। इसके अनुसार, हर चौथा पद ओबीसी, हर 7वां पद एससी, हर 14वां पद एसटी और हर 10वां पद ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित होता है। हालांकि, तीन से कम पदों पर भर्ती के लिए आरक्षण लागू नहीं होता।

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