भोपाल। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने अगला लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, मगर वे चुनाव कहां से लड़ेंगी इस पर उन्होंने अभी सस्पेंस रखा है। उनके इस ऐलान से तीन लोकसभा सीटों पर कशमकश की स्थिति पैदा होने की संभावना है। भारती की पसंदीदा और राजनीतिक समीकरण में फिट बैठने वाली ये तीन सीटें भोपाल, खजुराहो और झांसी हैं। इससे कई नेताओं की सांस अटक गई है। भाजपा नेता उमा भारती ने 2019 में चुनाव नहीं लड़ने के अपने ऐलान पर अमल करते हुए दूरी बनाई थी, लेकिन अब उन्होंने 2024 चुनाव में उतरने की मंशा जाहिर कर दी है।
उमा की चुनाव लड़ने की मंशा से सबसे ज्यादा संकट की स्थिति खजुराहो और भोपाल लोकसभा सीट के मौजूदा सांसदों के लिए पैदा हो सकती है, क्योंकि खजुराहो भारती का पसंदीदा क्षेत्र है तो भोपाल से भी वो 1999 में सांसद रह चुकी हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भोपाल में प्रज्ञासिंह को कट्टरवादी छवि के लिए दिग्विजय सिंह के सामने उतारा गया था। अब केन-बेतवा लिंक परियोजना की मन्नत पूरी होने पर छतरपुर के गंज गांव के एक हनुमान मंदिर में पूजा-पाठ करने के बाद पूर्व सीएम भारती ने खुलकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। यह ऐलान उनका वैसा ही है जैसा उन्होंने 2019 चुनाव के एक साल पहले चुनाव नहीं लड़ने का किया था। उमा भारती के चुनाव लड़ने के ऐलान से खजुराहो सीट पर ज्यादा असर पड़ेगा। भारती यहां से लगातार चार बार प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। वैसे भी मौजूदा सांसद विष्णुदत्त शर्मा को यहां अभी तक बाहरी माना जाता है। शर्मा मुरैना के रहने वाले हैं। केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर भारती अपने प्रयासों के बारे में बुंदेलखंड के लोगों को कई बार बता चुकी हैं। खासकर वे छतरपुर-खजुराहो में यह बातें खुलकर कहती रही हैं।
खजुराहो के बाद उमा की पसंद की दूसरी सीट राजधानी भोपाल है। यह सीट उनके लिए भाग्यशाली रही है। उमा भारती 1999 में यहीं से सांसद बनी और अटलबिहारी बाजपेयी की सरकार में मंत्री भी रहीं। इस सीट पर साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर को दिग्विजय सिंह को कट्टरवादी छवि की वजह से उतारा गया था। आने वाले चुनाव में अगर उमा भारती भोपाल लोकसभा सीट से उतरेंगी तो प्रज्ञा ठाकुर को किसी और सीट पर जाकर चुनाव लड़ना होगा।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उमा भारती के लिए तीसरे विकल्प के रूप में झांसी लोकसभा सीट भी हो सकती है। इस पर उनकी इसलिए नजर होगी, क्योंकि यह बुंदेलखंड का सबसे प्रमुख शहर है। केन-बेतवा लिंक परियोजना को साकार रूप दिलाने के बाद उनका बुंदेलखंड के प्रति जुड़ाव को झांसी सीट से चुनाव मैदान में उतरकर वे प्रदर्शित कर सकती हैं। यहां से वे 2014 में लोकसभा सदस्य भी रह चुकी है।