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Wednesday, November 13, 2024

कांग्रेस नेता अजय सिंह का बड़ा दावा, सिंधिया के साथ गए इन विधायकों का होगा ये हाल 

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ग्वालियर। मध्य प्रदेश में राजनीति की धुरी सिंधिया राजघराना, चुरहट और राघोगढ़ के रिश्ते हमेशा चर्चा में रहे हैं। इन रिश्तों पर गुरुवार को ग्वालियर आए पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल भैया ने ग्वालियर नईदुनिया रिपोर्टर योगेंद्र सेन से खुलकर बात की। उन्होंने चर्चा करते हुए राजनीतिक रिश्तों पर छाई धूल साफ कर बहुत कुछ स्पष्ट किया।

 

पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल भैया ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) पर निशाना साधते हुए कहा दल-बदलुओं पर अब कोई विश्वास नहीं करेगा। सिंधिया के साथ गए विधायकों में से अब पांच भी चुनाव नहीं जीत पाएंगें। उन्होंने दावा कर कहा कि जीत तो दूर की बात है, पहले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में इन्हें टिकट ही मिल जाए, वही काफी होगा।

 

2018 में सिंधिया के चेहरे पर चुनाव की बात गलत

पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने कहा अंचल में सिंधिया के भाजपा (BJP) में जाने के बाद यह चर्चा आई कि कांग्रेस ने वर्ष 2018 का विधानसभा चुनाव सिंधिया के चेहरे पर लड़ा। राहुल भैया ने कहा कांग्रेस में चेहरे पर चुनाव लड़ने की परंपरा कभी नहीं है। उन्होंने कहा 2018 के चुनाव में प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए जो पद ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास था। वही पद मेरे पास भी था। कांग्रेस सामूहिक जिम्मेदारी से चुनाव लड़ती है। वर्ष 2018 से पहले 2013 और 2008 में सिंधिया कांग्रेस में ही थे फिर अंचल में उनका जादू क्यों नहीं नहीं चला।

 

राहुल भैया ने कहा, पिता पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और सिंधिया परिवार में रिश्ते कभी खराब नहीं रहे। पिता ही (पूर्व केंद्रीय मंत्री) माधवराव सिंधिया को कांग्रेस (Congress) में लेकर आए। दिग्विजय सिंह से जरूर सिंधिया का मनमुटाव रहा है।

 

पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल भैया ने कहा पिता (पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह) का महल से सबसे नजदीकी रिश्ता रहा है। उन्होंने कहा पिता ग्वालियर दौरे के दौरान महल में ही रुकते थे। माधवराव सिंधिया के निधन के बाद पिता ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के हितों की रक्षा के लिए उन्हें एक तरह से पुत्र के रूप में गोद लिया। यह हर कोई जानता है। उन्होंने कहा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का महल से अवश्य कुछ मन-मुटाव रहा है। इसका कारण इतिहास से जुड़ा हो सकता है। और फिर दोनों समकक्ष नेता थे। इसलिए राजनीतिक प्रतिद्वंदिता भी हो सकती है।

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