नई दिल्ली। बीते कई दिनों से यह सुगबुगाहट चल रही थी कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद देश की तेल कंपनियां जल्द ही पेट्रोल डीजल के भाव बढ़ा सकती है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार से कुछ अच्छे संकेत मिलने के बाद शायद यह भी संभव है कि आने वाले दिनों में आशंकाओं के विपरीत देश में पेट्रोल डीजल के दाम और सस्ते हो जाए।
रूस और यूक्रेन के बीच जारी घमासान युद्ध के बीच बीते कुछ दिनों में ब्रेंट क्रूड ऑयल का भाव आसमान छू रहा था और रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था। भयावह युद्ध के बीच यह भी आशंकाएं जताई जा रही थी कि क्रूड ऑयल का भाव (Crude oil price) 300 डॉलर के पार जा सकता है। लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने जैसे ही झुकने के संकेत दिए तो रूस ने भी हमले कम कर दिए। इसका असर क्रूड ऑयल मार्केट पर भी दिखा और दो दिन में ही क्रूड ऑयल $139 प्रति बैरल से फिसलकर रिकॉर्ड गिरावट के साथ $108.7 पर आ पहुंचा है। अब यदि आने वाले कुछ दिनों में क्रूड ऑयल की कीमत 100 डॉलर के नीचे आ जाती है तो देश में पेट्रोल-डीजल का भाव कुछ कम हो सकता है। देश की सबसे बड़ी रिफाइनरी चलाने वाली कंपनी BPCL के चेयरमैन और MD अरुण कुमार सिंह का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार के ट्रेंड को देखा जाए तो पेट्रोल और डीजल का रेट अब बढ़ने की जगह घटने वाला है। दो दिन से कच्चे तेल का भाव बहुत तेजी से गिरा है। सिर्फ एक दिन में तेल कीमतों में रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली है। अरुण कुमार सिंह का कहना है कि आने वाले दिनों में यदि कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर के भी नीचे आ जाती है तो पेट्रोल डीजल की कीमत 2 से 3 रुपए कम हो सकती है।
वैश्विक स्तर पर बढ़ते क्रूड आयल रेट के चलते UAE ने अब कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने का तैयार हो गया है। बाजार में जैसे ही यह खबर आई तो ब्रेंट क्रूड फ्यूचर का रेट एक दिन में ही करीब 16.84 डॉलर (13.2 फीसदी) फिसलकर $111.14 प्रति बैरल पर आकर बंद हो गया। 21 अप्रैल 2020 के बाद ये एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है। US क्रूड फ्यूचर भी 15.44 डॉलर (12.5 फीसदी) गिरावट के बाद 108.70 डॉलर के स्तर पर बंद हुआ। ये नवंबर 2021 के बाद से सबसे बड़ी एक दिन की गिरावट रही आपको बता दे कि संयुक्त अरब अमीरात तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक का प्रमुख सदस्य है। UAE ने कहा है कि वैश्विक तेल संकट की स्थिति से बचने के लिए हम कच्चे तेल के उत्पादन बढ़ाने के पक्ष में हैं। OPEC को कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने के लिए दूसरे देशों से भी कहना होगा। युद्ध के हालत में रूस पर कई प्रतिबंध लगाए गए हैं और ऐसे में यदि तेल उत्पादन बढ़ता है तो रूस के प्रतिबंधों का असर दुनिया पर बहुत कम होगा।