रायबरेली: रायबरेली में ग्राम विकास अधिकारी (VDO) की आईडी का उपयोग कर 19,184 फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्र बनाने का एक बड़ा मामला उजागर हुआ है। इस मामले में यूपी एटीएस ने रविवार को मुख्य आरोपी रविकेश को लखनऊ से गिरफ्तार किया। पूछताछ में रविकेश ने बताया कि उसने देशभर में 4 लाख फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाए हैं। इसके लिए सरकारी वेबसाइट्स की तर्ज पर दो फर्जी वेबसाइट्स तैयार कीं और यूपी-बिहार में एक गिरोह बना लिया।
इस मामले में पहले ही 7 लोग गिरफ्तार किए जा चुके थे, जबकि रविकेश फरार चल रहा था। रायबरेली पुलिस ने उस पर 25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था। गिरफ्तार आरोपी रविकेश, पुत्र दिलीप लाल देव, बिहार के दरभंगा जिले का निवासी है।
रायबरेली के सलोन में इस फर्जी प्रमाण पत्र घोटाले का खुलासा हुआ था, जिसके बाद जांच एटीएस को सौंप दी गई।
फर्जी प्रमाण पत्र बनाने के लिए बनाई गईं वेबसाइट्स
रविकेश ने बताया कि उसने 2022 में www.crsogovr.in और 2023 में www.thedashboard.in नामक पोर्टल्स तैयार किए, जिनका उपयोग फर्जी प्रमाण-पत्र बनाने के लिए किया गया। उसने अपने फेसबुक पेज के माध्यम से यूपी और बिहार के कई लोगों को इस गिरोह में शामिल किया, जिसमें कई CSC संचालक भी थे।
रविकेश के पोर्टल पर लगभग 4100 यूजर थे, जिनमें से 1500 एक्टिव यूजर थे, जो परमानेंट कस्टमर थे। इस गतिविधि से उसे रोजाना 2-3 हजार रुपए की आमदनी हो रही थी। रविकेश और उसके यूजर्स ने कई राज्यों के कस्टमर्स के लिए करीब 4 लाख फर्जी जन्म प्रमाण पत्र और 5 हजार फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए।
सरकारी पोर्टल से भी किए गए फर्जीवाड़े
2022 में ही रविकेश और उसके गैंग को सरकारी पोर्टल www.crsorgi.gov.in के विभिन्न यूजरनेम और पासवर्ड मिल गए थे। इसके माध्यम से उन्होंने कई हजार फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए।
पहले भी हो चुकी है गिरफ्तारी
इस मामले की पहली एफआईआर 17 जुलाई 2024 को रायबरेली के सलोन थाने में दर्ज हुई थी, जब ग्राम विकास अधिकारी विजय यादव की आईडी का उपयोग कर बड़ी संख्या में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाए गए थे। इस मामले में केरल के पीएफआई सदस्य का भी नाम सामने आया था।
2 अगस्त को विजय सिंह यादव, जिशान खान, सुहेल और रियाज खान को गिरफ्तार किया गया। साथ ही, गैंग के अन्य सदस्यों गोविन्द केसरी, आकाश कसौधन, सलमान अली उर्फ सलमान गुरु, संजीव कुमार सिंह, वैभव उपाध्याय, शाहनवाज, आरिफ अली, शहनवाज, धीरज कुमार, राजन उर्फ देवमणि, नीरज, अरमान और सतीश कुमार सोनी को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
अन्य संदिग्ध भी जांच के दायरे में
यूपी एटीएस की पूछताछ में अन्य संदिग्धों के नाम भी सामने आए हैं, जिन्होंने ग्राम विकास अधिकारी की ओरिजिनल आईडी और पासवर्ड का दुरुपयोग कर फर्जी प्रमाण पत्र बनाए। ऐसे लोगों की तलाश में छापेमारी की जा रही है।