जबलपुर। बिजली जलाने वालों के साथ अब बिजली नहीं जलाने वालों को भी करंट लगेगा। घर में बंद मीटर या बिजली नहीं जलाने के बावजूद बिल देना होगा। हर माह न्यूनतम 139 रुपये का बिल जमा करना होगा। बिजली कंपनी घरेलू उपभोक्ताओं से यह राशि लेगी। मप्र विद्युत नियामक आयोग ने बिजली उपभोक्ताओं से न्यूनतम शुल्क के नाम पर 70 रुपये राशि तय की है। यदि उपभोक्ता शून्य अथवा दो-10 यूनिट भी बिजली जलाता है तब भी उसे न्यूनतम 70 रुपये का शुल्क तथा नियत प्रभार के 69 रुपये भुगतान करने होंगे। उपभोक्ताओं को अभी करीब 134 रुपये न्यूनतम भुगतान करना पड़ता था।
घरेंलू बिजली बिल में प्रमुख दो शुल्क है। बिजली जो खपत हुई और नियत प्रभार। बिजली कंपनी खुद पावर प्लांट से जब बिजली नहीं खरीदती है तो सिर्फ नियत प्रभार देती है। जबकि यहीं काम उपभोक्ता करता है। बिजली कंपनी 2022-23 से ये 0 खपत करने पर भी करीब 139 रुपये (सभी शुल्क जोड़कर) लेना चाहती है। इसमें 70 रुपये न्यूनतम ऊर्जा शुल्क और 69 रुपये नियत प्रभार है। मतलब कंपनी खपत नहीं करने के बावजूद उपभोक्ता से 70 रुपये फ्री का वसूलेगी। नियम के मुताबिक विद्युत अधिनियम में न्यूनतम शुल्क वसूलने का कोई प्रावधान नहीं है।
मप्र विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 45 (3) क में सिर्फ फिक्स जार्च उपभोक्ता से लेने का जिक्र है। जो बिजली उपभोक्ता जला रहा है उसी का बिल बने। न्यूनतम शुल्क नहीं लिया जा सकता। गुजरात,छग तो नहीं सिर्फ मप्र में: देश के भाजपा शासित राज्य गुजरात और छत्तीसगढ़ में 0 खपत पर उपभोक्ता से न्यूनतम ऊर्जा प्रभार नहीं लिया जाता। वास्तविक खपत और फिक्स जार्च पर ही बिल जारी होता है। दिल्ली में भी यही होता है।
नियत प्रभार एक तरह से सर्विस और मेंटेनेंस शुल्क की तरह देय होता है। जो उपभोक्ता देता है। न्यूनतम प्रभार लेने का का नियम नहीं है। इलेक्टिसिटी एक्ट 45, 3, अ में भी इस तरह के शुल्क वसूली का प्रावधान नहीं है। आयोग ने इसे गलत तरीके से लागू किया है इस संबंध में हम न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी कर रहे हैं