मध्यप्रदेश में विधानसभा के उपचुनावों के लिए तारीखों का ऐलान नहीं हुआ, लेकिन राजनीतिक दांव-पेच शुरू हो चुके हैं। भाजपा के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया चनाव प्रचार की कमान संभाल चुके हैं तो कांग्रेस के लिए पूर्व सीएम कमलनाथ मोर्चा संभाल रहे हैं। भाजपा के संभावित प्रत्याशी जहां एक ओर राम नाम के सहारे मतदाताओं को रिझाने में पसीना बहा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में बची सीटों पर टिकट को लेकर पार्टी के दिग्गजों में घमासान मचा हुआ है। हालांकि ऊपरी तौर पर दिखाया यही जा रहा है कि टिकट को लेकर कोई विवाद और टकराव की स्थिति नहीं है। इन तमाम दावों के बाद भी कांग्रेस में मची भगदड़ सब कुछ बयां कर रही है। यही नहीं पार्टी के नेता इतने में भी सबक नहीं ले रहे हैं, बल्कि अपने दल के नेताओं को छोड़कर भाजपा के चुनिंदा असंतुष्ट नेताओं पर डोरे डाल रहे हैं। इससे पार्टी के नेता खुद को उपेक्षित मान रहे हैं।
कांग्रेस की नजर भाजपा के असंतुष्टों पर
राजपूत से दो-दो हाथ करने के लिए कांग्रेस में दर्जनों नामों पर मंथन हो रहा है, लेकिन पार्टी बीजेपी के असंतुष्ट नेताओं पर भी डोरे डाल रही है। कांग्रेस के शीर्ष नेता भी बीजेपी में सेंधमारी के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। इनमें सुरखी से बीजेपी के टिकट पर राजपूत को पटखनी देने वाली पूर्व विधायक पारुल साहू और सुरखी विधानसभा के कद्दावर नेता राजेन्द्र सिंह मोकलपुर शामिल हैं। इनमें से कोई भी कांग्रेस में आ जाए तो बीजेपी की जीत की राह मुश्किल हो सकती है।
कांग्रेस की राह मुश्किल
इधर, कांग्रेस नेता रह-रह कर राजपूत पर गद्दारी का आरोप तो लगा रहे हैं, लेकिन क्षेत्र में उनकी सक्रियता न के बराबर है। राजपूत के साथ बड़ी तादाद में पार्टी कार्यकर्ताओं के भाजपा ज्वॉइन करने से कांग्रेस के लिए मुश्किलें ज्यादा हैं। समस्या यह है कि कांग्रेस अब तक अपने उम्मीदवार का ही फैसला नहीं कर पाई है।