सागर। मध्य प्रदेश के सागर जिले के देवरी से बीजेपी विधायक बृज बिहारी पटेरिया ने अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उनका यह कदम कानून व्यवस्था को लेकर सरकार की नाकामी पर सवाल उठाता है। पटेरिया ने अपना इस्तीफा केसली थाने में टीआई के समक्ष दिया, जहां उन्होंने कहा कि उन्हें अपने क्षेत्र के लोगों के प्रति न्याय न मिलने की वजह से आहत महसूस हो रहा है।
इस्तीफे की वजह…
विधायक बृज बिहारी पटेरिया का इस्तीफा एक महत्वपूर्ण घटना के संदर्भ में आया है। उन्होंने बताया कि एक स्थानीय युवक, रोहित यादव के दादा को सांप ने काट लिया था और इस मामले में FIR दर्ज न होने के कारण पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिला। उन्होंने आरोप लगाया कि थाने में 40,000 रुपये की रिश्वत मांगी गई थी। इस पर पटेरिया अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठे और अपनी आवाज उठाई।
कानून व्यवस्था का संकट…
मध्य प्रदेश में हाल के दिनों में बढ़ते अपराधों और कानून व्यवस्था के मामलों ने सरकार की स्थिति को कमजोर किया है। न केवल आम जनता, बल्कि सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक भी अपराधियों के सामने खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। मऊगंज से विधायक प्रदीप पटेल और कटनी से विधायक संजय पाठक जैसे नेताओं ने भी गुंडों से जान का खतरा बताया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बीजेपी सरकार अपने ही विधायकों को सुरक्षा प्रदान कर पा रही है?
पूर्व मंत्रियों की नाराजगी…
बृज बिहारी पटेरिया के इस्तीफे के साथ ही, बीजेपी के पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव और अजय विश्नोई ने भी सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। भार्गव ने बच्चियों के खिलाफ हो रही अपराधों का जिक्र करते हुए सरकार की नीतियों पर आलोचना की है। वहीं, विश्नोई ने सोशल मीडिया पर पटेल का दंडवत वाला वीडियो पोस्ट करते हुए सरकार की खामियों को उजागर किया।
क्या हैं समाधान…?
इन घटनाओं ने एक गंभीर प्रश्न खड़ा किया है: मुख्यमंत्री मोहन यादव और उनकी सरकार माफियाओं और अपराधियों पर सख्ती क्यों नहीं कर रही? जब विधायक ही अपनी जान बचाने के लिए पुलिस के पास शरण मांग रहे हों, तो यह संकेत देता है कि मध्य प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति गंभीर है। बृज बिहारी पटेरिया का इस्तीफा एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत है, जो यह दर्शाता है कि बीजेपी के अंदर भी असंतोष बढ़ रहा है। इस घटनाक्रम से स्पष्ट होता है कि यदि सरकार ने स्थिति को नहीं संभाला, तो यह न केवल पार्टी के लिए, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक बड़ा संकट बन सकता है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस समस्या का समाधान कैसे करती है और क्या वह अपने विधायकों की सुरक्षा और जनता के न्याय की ओर ध्यान देती है।