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सिस्टम पर सवाल उठाने के बाद पलटे भाजपा विधायक, इस्तीफे और आरोपों से मचा सियासी हड़कंप

भोपाल: मध्य प्रदेश के कुछ भाजपा विधायकों ने अपनी ही सरकार के सिस्टम पर सवाल उठाकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। इन विधायकों में विजयराघवगढ़ के विधायक संजय पाठक और सागर जिले के देवरी से विधायक बृज बिहारी पटैरिया का नाम प्रमुख है, जिन्होंने हाल ही में सरकारी तंत्र पर आरोप लगाने के बाद अपने बयान बदल लिए।

विधायक संजय पाठक का यू-टर्न

दो दिन पहले विधायक संजय पाठक ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी, जिससे यह संदेश गया कि उन्हें जान का खतरा है। हालांकि, शुक्रवार को उन्होंने मीडिया के सामने आकर अपना बयान बदलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सरकार जनता की सुरक्षा के लिए पूरी तरह सक्षम है। पाठक ने कहा, “कांग्रेस को इसे लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सरकार का सुरक्षा तंत्र हर व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है। मुझे अपनी सुरक्षा का कोई खतरा नहीं है, और मैं स्वयं अपनी सुरक्षा के लिए सक्षम हूं।”

बृज बिहारी पटैरिया का इस्तीफा और वापस लेना

देवरी के विधायक बृज बिहारी पटैरिया ने डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज न होने पर पुलिस के खिलाफ धरना दिया और इस्तीफा देने की घोषणा कर दी। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखते हुए कहा कि एफआईआर दर्ज न होने से वह पीड़ित और व्यथित हैं, इसलिए इस्तीफा दे रहे हैं। हालांकि, 10 घंटे के भीतर उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया और कहा कि उन्होंने आक्रोश में यह कदम उठाया था।

पटैरिया ने यह भी कहा, “हमारी सरकार अच्छा काम कर रही है, और पुलिस ने डॉक्टर दीपक दुबे के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।” डॉक्टर दुबे को बीना अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया है।

विवाद की पृष्ठभूमि

विधायक पटैरिया ने आरोप लगाया था कि एक डॉक्टर ने सर्पदंश से मौत के मामले में उचित जांच नहीं की और एफआईआर दर्ज नहीं की। पुलिस द्वारा डॉक्टर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 384 के तहत मामला दर्ज किया गया है। हालांकि, डॉक्टर दुबे का कहना है कि विधायक दबाव डाल रहे थे कि सर्पदंश से मौत लिखी जाए, जबकि मृतक के परिजन घटना के बारे में पूरी जानकारी नहीं दे सके थे।

विधायक संजय पाठक की सुरक्षा बढ़ाई गई

संजय पाठक के हालिया बयान के बावजूद, कटनी जिले की पुलिस ने उनकी सुरक्षा को और मजबूत किया है। उनके निवास के आसपास गश्त बढ़ाई गई है और सीएसपी तथा टीआई को चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। पुलिस अधीक्षक अभिजीत रंजन ने कहा, “विधायक की सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। आधार कार्ड से जुड़ी शिकायत की जांच भी तेजी से चल रही है।”

भाजपा में आंतरिक खींचतान

विधायकों के इन घटनाक्रमों ने भाजपा में आंतरिक खींचतान और नाराजगी की स्थिति को उजागर किया है। कई वरिष्ठ नेताओं ने विधायकों की आलोचना पर सवाल उठाए हैं, जबकि कुछ ने इसे पार्टी के अनुशासन और सरकार की छवि पर चोट माना है।

संजय पाठक और बृज बिहारी पटैरिया के मामलों ने एक बार फिर से सरकारी व्यवस्था और भाजपा के भीतर के असंतोष को उजागर किया है। हालांकि, दोनों विधायकों ने अपने-अपने बयानों में यू-टर्न लेते हुए सरकार की प्रशंसा की है, लेकिन इन घटनाओं ने जनता के बीच कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या ये विधायकों के वास्तविक चिंताओं का परिणाम था, या फिर राजनीतिक दबाव में आकर उठाए गए कदम थे, यह अभी भी एक चर्चा का विषय बना हुआ है।

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