भोपाल। मध्य प्रदेश में कभी अर्जुन सिंह की प्रतिमा लगाने के लिए तो कभी विंध्य प्रदेश को अलग प्रांत बनाने की मांग कर सुर्खियां बटोरने वाले नारायण त्रिपाठी ने अब भगवान राम का सहारा लिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी में कहा कि अत्यंत हर्ष का विषय है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत का नया संसद भवन 28 मई 2023 को उद्घाटित हो रहा है। भारत की स्वतंत्रता के बाद तत्कालीन ब्रिटिश सरकार एवं भारत सरकार के मध्य सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर 2600 वर्ष पूर्व के चोल राजवंश के राजदंड “सेंगोल” को स्थापित करने की योजना स्वागतयोग्य है।
त्रिपाठी ने लिखा कि भारतीय सनातन धर्म एवं संस्कृति से लेकर भारतीय संविधान तक समूचा भारतवर्ष सदैव 7500 वर्ष पूर्व के रामराज्य की स्थापना हेतु प्रतिबद्ध एवं संकल्पित है। तपोभूमि विंध्यप्रदेश का चित्रकूट क्षेत्र ‘राम-भरत मिलाप’ का प्रमाणिक स्थल होने के साथ-साथ रामराज्य की प्रथम संकल्पना की जननी भी है। इस स्थान पर भरत ने मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम से रामराज्य की स्थापना हेतु सत्ता हस्तांतरण करना चाहा था। प्रभु श्रीराम ने गुरुजनों की सहमति पर स्वयं अपनी चरण पादुका (खड़ाऊ) प्रतीक स्वरूप भरत को प्रदान की थी। औपचारिक रूप से रामराज्य की स्थापना की थी। इस तरह भारतीय सनातन धर्म एवं संस्कृति में सत्ता हस्तांतरण का इससे बेहतर प्रतीक अन्य कोई नहीं है। भारतीय संविधान के निर्माता बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से लेकर भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी तक ने देश में रामराज्य की परिकल्पना साकार करने का स्वप्न देखा था। इस वजह से रामराज्य की सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक राम-चरण पादुका (खड़ाऊ) को नए संसद भवन परिसर में स्थापित करने का निवेदन है। यह पारदर्शी, समदर्शी, निष्पक्ष रामराज्य की सनातनधर्मी विचारधारा का वास्तविक सम्मान होगा। जिन विकृत मानसिकता के नेताओं ने खड़ाऊ सत्ता को नकारात्मक और कहीं अन्य से संचालित होने वाली मान रखा है उन्हें भी सबक मिलेगा।
नारायण त्रिपाठी मैहर (सतना) से भाजपा विधायक हैं। कभी अमित शाह को पत्र लिखकर मध्य प्रदेश भाजपा की शिकायत करते हैं तो कभी अर्जुन सिंह की प्रतिमा लगाने की मांग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से करते हैं। अप्रैल में तो उन्होंने यह भी कह दिया था कि विंध्य जनता पार्टी बनाएंगे और मध्य प्रदेश से विंध्य प्रदेश को अलग करने की मुहिम शुरू करेंगे। न तो पार्टी छोड़ी और न ही पार्टी बनाई, भाजपा की आंखों की किरकिरी जरूर बने हुए हैं।
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