भोपाल :- मध्यप्रदेश की राजनीती के महाराज यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा की सरकार बनवाई तो मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा ने उनके समर्थकों को भरपूर तबज़्ज़ो देकर ग्वालियर चंबल-अंचल में ये संदेश दिया हैं कि महाराज की जय के साथ ही भाजपा उपचुनाव का विजय अभियान आगे बढ़ाएगी।
गुरूवार को हुए शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा के मिशन उपचुनाव की झलक साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है. जातीय, क्षेत्रीय समीकरण बिठाकर भाजपा ने जहाँ सिंधिया के कद को बढ़ाया तो ग्वालियर चंबल-अंचल में अपनी सोशल इंजीनियरिंग की लाइन को आगे भी खींचने का काम किया हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार में जहां अगड़े से लेकर पिछड़े तक और बहुजन पर फोकस कर हर वर्ग को साधने का संदेश है, तो विरोधियों की उन अटकलों पर कहीं न कहीं विराम लगाने की कोशिश है जो अंचल में विस्तार के बाद भाजपा में बगावत होने की उम्मीदें पाल बैठे थे. शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार में उपचुनाव का उद्देश्य इसलिए भी साफ़ झलक मार रहा क्योंकि भाजपा ने उन विधायकों को भी मंत्री बना दिया जो पहली बार चुनाव जीतकर सदन में पहुंचे हैं पर सिंधिया समर्थक हैं।
सिंधिया और उनके समर्थकों के भाजपा में जाने के बाद से ही विपक्ष यानी कांग्रेस लगातार पहले राज्यसभा चुनाव को लेकर फिर मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सिंधिया की घेराबंदी करने बयानबाज़ी कर रहा था. भाजपा ने भी देर आए पर दुरुस्त आये बाली कहावत चरितार्थ करते हुए गुरूवार को मंत्रिमंडल विस्तार में सिंधिया के समर्थकों को भरपूर बजन दिया और महाराज का मान बढ़ाया हैं।
उपचुनाव और भाजपा का चंबल से कुछ ऐसा हैं कनेक्शन
ग्वालियर अंचल की जिन 16 सीटों पर उपचुनाव हैं वहां से भाजपा ने 8 सिंधिया समर्थक मंत्री बनाए हैं. इनमें कैबिनेट में इमरती देवी, प्रदुम्न सिंह तोमर, एंदल सिंह कंसाना, राज्यमंत्री ब्रजेन्द्र सिंह यादव, गिर्राज दंडौतिया, ओपीएस भदौरिया, सुरेश धाकड़, महेंद्र सिंह सिसौदिया शामिल हैं इसके अलावा डॉ नरोत्तम मिश्रा, यशोधरा राजे सिंधिया, भारत सिंह कुशवाह, अरविन्द भदौरिया भी इसी क्षेत्र से आते हैं।
हालांकि जिन महत्वपूर्ण सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें से भी सिंधिया समर्थकों को बेहद तबज़्ज़ो दी गई है. हालांकि एंदल सिंह कंसाना को सिंधिया समर्थक नहीं माना जाता है. यानी कुल मिलाकर ग्वालियर चंबल-अंचल की जिन 16 सीटों पर महाराज और भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है उन सीटों में जौरा, ग्वालियर, डबरा (अजा), बमोरी, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह (अजा), मेहगांव, गोहद (अजा), ग्वालियर (पूर्व), भांडेर (अजा), करैरा (अजा), पोहरी, अशोक नगर (अजा), मुंगावली शामिल हैं. इसलिए भाजपा ने इस अंचल में जो मंत्री बनाए हैं उनका आधार ही जातीय और क्षेत्रीयता है।
दरसअल इस अंचल का चुनावी इतिहास एक दो सीट छोड़ दी जाएं तो जातीय और क्षेत्रीय ही रहा है. ज्यादातर सामान्य सीटों में मुख्य लड़ाई पंडित और ठाकुरों की होती आ रही है इसमें गुर्जर बाहुल्य भी सीटें हैं. निर्णायक भूमिका में जाटव, गुर्जर, ब्राम्हण और ठाकुर वोट ही माने जाते हैं. यादव बाहुल सीट मुंगावली में असंतोष पाटने जहाँ ब्रजेंद्र यादव को मंत्री पद से नवाजा है तो इमरती देवी और सुरेश धाकड़ को मंत्री बनाकर अजा वोट साधने की जुगत है।
प्रदुम्न तोमर के साथ भारत सिंह कुशवाह को बनाकर ग्वालियर में टकराव के हालातों पर अंकुश लगाने की कोशिश की हैं. अरविन्द भदौरिया और ओपीएस को बनाकर जातीय गुणाभाग का प्रयास इस प्रकार ये कहना बेमानी नहीं होगा कि भाजपा ने मंत्रिमंडल में बागियों को उनके बलिदान का पारितोषक देकर महाराज के सम्मान को बरक़रार रखकर चुनावी मैदान की कसावट कर दी है और अब उपचुनाव में भाजपा का फोकस ग्वालियर चम्बल-अंचल ही रहने वाला है।
अपनों के बलिदान से बागियों का सम्मान
मंत्रीमंडल विस्तार में इस बार भाजपा ने चंबल अंचल में सिंधिया का दबदबा और उनके समर्थकों के बलिदान की खातिर उन्हें सम्मान देने के लिए भाजपा ने वरिष्ठता के क्रम को नज़रंदाज़ कर अपने उन विधायकों और पूर्व मंत्रियों को मंत्री नहीं बनाया है। या तो जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के खास माने जाते रहे या संगठन के करीबी…
अपनों के बलिदान से बागियों का सम्मान
मंत्रीमंडल विस्तार में इस बार भाजपा ने चंबल अंचल में सिंधिया का दबदबा और उनके समर्थकों के बलिदान की खातिर उन्हें सम्मान देने के लिए भाजपा ने वरिष्ठता के क्रम को नज़रंदाज़ कर अपने उन विधायकों और पूर्व मंत्रियों को मंत्री नहीं बनाया है। या तो जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के खास माने जाते रहे या संगठन के करीबी…
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की माने तो इस बार मंत्रिमंडल विस्तार के केंद्र में महाराज सिंधिया और उनके सिपहसलार के अलावा उपचुनाव भी रहे। जिन क्षेत्रों में उपचुनाव होना है उनको विशेष तौर पर तबज़्ज़ो दी गई है, जिससे कि 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की रणनीति को साकार रूप मिल सके।
वही उपचुनाव के फेर में जो दिग्गज मंत्री नहीं बन पाए उनमें गौरीशंकर बिसेन, पारस जैन, रामपाल सिंह, सुरेंद्र पटवा और संजय पाठक शामिल हैं. उपचुनाव के हिसाब से ही मंत्रिमंडल की बिसात बिछाई गई इस बात का सटीक प्रमाण ये भी है कि जो निर्दलीय, सपा, बसपा विधायक भाजपा के पाले में पहुंचे थे उनको भी मंत्रिमंडल से दूर रखा गया है. राजेन्द्र शुक्ल, रमेश मेंदोला, अजय विश्नोई, जालम सिंह पटेल, हरिशंकर खटीक, रामलल्लू वैश्य, रामेश्वर शर्मा सहित कई भाजपा के विधायकों को फिलहाल शांत कर दिया गया है, जो मंत्री पद के दावेदार रहे। शायद इसके पीछे भाजपा संगठन की रणनीति यही होगी कि पहले उपचुनाव जीतकर सरकार को स्थायित्व दिलाया जाएगा फिर सबको सेट करने की प्रक्रिया होगी।
शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार और मध्यप्रदेश
भाजपा ने मंत्रिमंडल विस्तार में जिन 28 चेहरों में 20 कैबिनेट और 8 राज्यमंत्री मंत्री पद दिए हैं उनमें संभाग और जिलेवार संतुलन बनाने का प्रयास भी दिखाई दिया. बुंदेलखंड के सागर से गोविंद सिंह राजपूत के अलावा गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह और पन्ना से ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह को शामिल कर सुर्खियों में रहने वाली सुरखी विस सीट के लिए सामंजस्य बनाया गया है. कुल मिलाकर उपचुनाव की गणित को बिठाने सिंधिया समर्थक सहित सर्वाधिक 12 मंत्री उस ग्वालियर चंबल अंचल से जहां उपचुनाव का असली संग्राम होना है. इसके बाद मालवा निमाड़ से 10 मंत्री बनाए गए और बुंदेखण्ड के सागर से 3 सहित कुल 4 को मंत्री पद दिया गया. विंध्य क्षेत्र से 3, महाकौशल से 2 और मध्य से 2 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई. सभी मंत्रियों को मंत्रालय में कक्ष भी आवंटित कर दिए गए हैं. जातीय संतुलन की बात करें तो सभी वर्ग को भरपूर प्रतिनिधित्व मिला है जिसमें तीन ब्राम्हण चेहरों के अलावा 10 ठाकुर चेहरे शामिल हैं. पिछड़ा वर्ग से 8, अनुसूचित जाति से 5, अनुसूचित जनजाति से 4 विधायकों को मंत्री बनाया गया है. मंत्रिमंडल में विश्वास सारंग कायस्थ समाज, ओम प्रकाश सकलेचा जैन समाज और हरदीप सिंह डंग सिख समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को बिठाने में भाजपा ने फिलहाल कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. फिर भी देखना बाकी होगा कि जिन 24 सीटों पर होने वाले उपचुनावों के लिए भाजपा ने इतनी माथापच्ची की है उन विधानसभा क्षेत्रों में आगामी दिनों में इस विस्तार का क्या असर रहेगा.
शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार और मध्यप्रदेश
भाजपा ने मंत्रिमंडल विस्तार में जिन 28 चेहरों में 20 कैबिनेट और 8 राज्यमंत्री मंत्री पद दिए हैं उनमें संभाग और जिलेवार संतुलन बनाने का प्रयास भी दिखाई दिया. बुंदेलखंड के सागर से गोविंद सिंह राजपूत के अलावा गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह और पन्ना से ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह को शामिल कर सुर्खियों में रहने वाली सुरखी विस सीट के लिए सामंजस्य बनाया गया है. कुल मिलाकर उपचुनाव की गणित को बिठाने सिंधिया समर्थक सहित सर्वाधिक 12 मंत्री उस ग्वालियर चंबल अंचल से जहां उपचुनाव का असली संग्राम होना है. इसके बाद मालवा निमाड़ से 10 मंत्री बनाए गए और बुंदेखण्ड के सागर से 3 सहित कुल 4 को मंत्री पद दिया गया. विंध्य क्षेत्र से 3, महाकौशल से 2 और मध्य से 2 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई. सभी मंत्रियों को मंत्रालय में कक्ष भी आवंटित कर दिए गए हैं. जातीय संतुलन की बात करें तो सभी वर्ग को भरपूर प्रतिनिधित्व मिला है जिसमें तीन ब्राम्हण चेहरों के अलावा 10 ठाकुर चेहरे शामिल हैं. पिछड़ा वर्ग से 8, अनुसूचित जाति से 5, अनुसूचित जनजाति से 4 विधायकों को मंत्री बनाया गया है. मंत्रिमंडल में विश्वास सारंग कायस्थ समाज, ओम प्रकाश सकलेचा जैन समाज और हरदीप सिंह डंग सिख समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को बिठाने में भाजपा ने फिलहाल कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. फिर भी देखना बाकी होगा कि जिन 24 सीटों पर होने वाले उपचुनावों के लिए भाजपा ने इतनी माथापच्ची की है उन विधानसभा क्षेत्रों में आगामी दिनों में इस विस्तार का क्या असर रहेगा.
महेंद्र विश्वकर्मा, नया इण्डिया भोपाल