भोपाल | कालाधन मामले में मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. राजेश राजौरा मंगलवार को चुनाव आयोग के सामने पेश होंगे। दोनों सीनियर अफसर आयोग को बताएंगे कि केंद्रीय प्रत्यक्षकर बोर्ड (सीबीडीटी) की रिपोर्ट पर राज्य शासन ने अब तक क्या एक्शन लिया है
इससे पहले राज्य शासन मामला आर्थिक अपराध अन्वेक्षण ब्यूरो (EOW) को सौंप कर प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दे चुका है। आयोग के समक्ष इसके बारे में पूरा ब्यौरा दिया जाएगा। दोनों अफसर सुबह 11:30 बजे आयोग के समक्ष पेश होंगे। मामला लोकसभा चुनाव में अवैध लेन-देन से जुड़ा है
बता दें कि मप्र में लोकसभा चुनाव-2019 से पहले आयकर छापों के बाद कालेधन के लेन-देन मामले में केंद्रीय चुनाव आयोग के उप चुनाव आयुक्त चंद्रभूषण कुमार ने मप्र सरकार के मुख्य सचिव और गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को 5 जनवरी को दिल्ली तलब किया था। इससे पहले आयोग ने 16 दिसंबर 2020 को मुख्य सचिव को भेजे पत्र में यह साफ कर दिया था कि केंद्रीय प्रत्यक्षकर बोर्ड की जो रिपोर्ट भेजी गई है, उसी संबंध में बात होगी। मप्र को बताना होगा कि वह आगे क्या कार्रवाई करेगा
यह मामला EOW के पाले में जाने के बाद शिवराज सरकार के तीन मंत्रियों समेत पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हालांकि प्राथमिकी दर्ज करने में किसी का नाम अभी शामिल नहीं किया गया है, लेकिन 3 आईपीएस अफसर सुशोभन बनर्जी, वी. मधुकुमार व संजय माने और राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण कुमार मिश्रा पर गाज गिरना अब लगभग तय हो गया है।
सीबीडीटी की रिपोर्ट में तत्कालीन कमलनाथ सरकार के मंत्री सहित 64 विधायकों के नाम हैं। इनमें से 13 विधायक रिपोर्ट आने से पहले बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। बीजेपी के 13 में से 8 विधायक (इसमें से दो प्रद्युमन सिंह तोमर और राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव मंत्री भी हैं) सिंधिया समर्थक हैं। रिपोर्ट में सीधे तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का नाम नहीं है, लेकिन दिग्विजय सिंह पर लोकसभा चुनाव में 90 लाख रुपए मिलने के आरोप हैं।