भिंड। भिंड जिले में बुधवार शाम को एक दुखद घटना घटी, जब एक रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान नदी में नाव पलट गई और एसडीईआरएफ के दो जवान नदी में बह गए। इन जवानों के शव आज लगभग 23 घंटे बाद बरामद किए गए हैं। घटना की शुरुआत उस समय हुई जब देहात थाना इलाके के कचोंगरा गांव में कुंवारी नदी के चेक डैम पर एक गाय फंस गई। गाय का मालिक विजय सिंह राजावत उसे बचाने गया, लेकिन वह खुद पानी में फंस गया। उसकी सहायता के लिए उसका भाई सुनील भी नदी में उतरा, लेकिन विजय की डूबने से मौत हो गई। सुनील भी तेज बहाव में फंस गया और उसे निकालने के प्रयास में कुछ ग्रामीण भी नदी में उतर गए, जो खुद पानी में फंस गए।
सूचना मिलने पर एसडीईआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और ग्रामीणों को बाहर निकालने का प्रयास किया। हालांकि, रेस्क्यू के दौरान टीम की नाव पलट गई, जिससे एसडीईआरएफ के जवान प्रवीण कुशवाह और हरिदास चौहान नदी में बह गए। उनके शव बुधवार की रात और आज सुबह के बीच अलग-अलग स्थानों पर बरामद किए गए। हरिदास चौहान का शव कनावर के नजदीक और प्रवीण कुशवाहा का शव कनावर से कुछ किलोमीटर आगे श्योडा गांव के पास मिला।
गुस्साए ग्रामीणों ने घटना के बाद होमगार्ड के डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट उमेश शर्मा के साथ मारपीट कर दी और रेस्क्यू ऑपरेशन में लापरवाही का आरोप लगाया। ग्रामीणों ने गांव के बाहर मेन रोड पर चक्काजाम कर दिया, जिसके कारण यातायात प्रभावित हुआ। भिंड जिले के कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने के निर्देश दिए हैं।
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एसडीईआरएफ की टीम ने नदी के किनारों और उसके पांच किलोमीटर के दायरे में खोजबीन की। नदी के पानी का बहाव तेज होने और अंधेरे के कारण रेस्क्यू को कुछ समय के लिए रोकना पड़ा था।
सरकार की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल:
इस घटना ने राज्य सरकार की सुरक्षा व्यवस्था, संसाधनों की उपलब्धता, और रेस्क्यू टीम की ट्रेनिंग पर गंभीर सवाल उठाए हैं। स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि रेस्क्यू ऑपरेशन में लापरवाही और संसाधनों की कमी के कारण यह त्रासदी हुई। ग्रामीणों ने होमगार्ड के डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट उमेश शर्मा के साथ मारपीट की और रेस्क्यू टीम पर लापरवाही का आरोप लगाया।
संसाधनों की कमी और उचित ट्रेनिंग की आवश्यकता:
विशेषज्ञों का कहना है कि एसडीईआरएफ जैसे विशेष दलों के पास पर्याप्त संसाधन और उचित ट्रेनिंग का अभाव हो सकता है, जिससे आपातकालीन स्थितियों में उनकी प्रभावशीलता प्रभावित होती है। घटना के दौरान नदी का बहाव तेज था और अंधेरे और बारिश के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन को बाधित होना पड़ा। यह घटना सुरक्षा और आपातकालीन प्रबंधन प्रणाली के कमजोर पहलुओं को उजागर करती है और सुधार की आवश्यकता को दर्शाती है। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचा जा सके।