ग्वालियर | नगर निगम के सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा रिश्वत कांड अभी अंजाम तक भी नहीं पहुंच पाया था कि एक कर संग्राहक द्वारा नामांतरण मामले में रिश्वत लिए जाने की बात स्वीकार करने वाला वीडियो वायरल होने के बाद नगर निगम एक बार फिर कटघरे में आ गया है। सोशल मीडिया में चल रहा वीडियो निगम के वार्ड-18 में पदस्थ कर संग्राहक योगेंद्र श्रीवास्तव का है।
वह वीडियो में स्वीकार कर रहा है कि नामांकन के पांच से सात हजार रुपए लगते हैं। ऐसा लगता है कि मैंने दुनिया में सबसे बड़ा अपराध कर दिया है, जबकि पैसा कौन नहीं लेता? आयुक्त से लेकर कार्यालय अधीक्षक तक सब लेते हैं। यह वीडियो सामने आने के तुरंत बाद प्रभारी आयुक्त नगर निगम नरोत्तम भार्गव ने टीसी को निलंबित कर दिया है।
वीडियाे में टीसी ने आयुक्त के अलावा एपीटीओ महेंद्र शर्मा, महेश पाराशर और कार्यालय अधीक्षक लोकेंद्र चौहान का नाम भी लिया है। नामांतरण के नाम पर निगम का अमला शहर के लोगों से लाखों रुपए की अवैध वसूली करता है। इसे लेकर पहले भी तमाम शिकायतें हो चुकी हैं, लेकिन अफसरों की मिलीभगत के कारण किसी पर कार्रवाई नहीं की गई।
दो साल पहले टीसी योगेंद्र श्रीवास्तव बहोड़ापुर वार्ड-1 में पदस्थ था। तब एक निजी व्यक्ति से रसीद कटवाई जाती थी। मामला खुला तो निजी व्यक्ति 54 लाख लेकर भाग गया। उस पर दबाव डालकर पैसा जमा कराया गया। अभी तक जांच चल रही है।
नामांतरण के लिए कटती है 50 रुपए की रसीद : नामांतरण के लिए निगम में किसी भी तरह की फीस का प्रावधान नहीं है। जनमित्र केंद्रों की शुरुआत होने के बाद इसके आवेदन के साथ 50 रुपए का शुल्क जोड़ दिया गया। इसके अलावा नामांतरण के दौरान किसी तरह की गड़बड़ी न हो इसके लिए पेपर में विज्ञापन देने का प्रावधान है।
कुछ लोगों के विज्ञापन न देने के कारण विवाद की स्थिति बनी। इसके बाद से निगम ने विज्ञापन शुल्क के नाम पर दो हजार रुपए का प्रावधान कर दिया। संपत्ति कर के उपायुक्त जगदीश अरोरा का कहना है कि सभी कागजात के परीक्षण के साथ टैक्स जाम कराने पर नामांतरण कर दिया जाता है।