भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र का बुधवार को तीसरा दिन है। एक मार्च यानी आज शिवराज सरकार अपने कार्यकाल का आखिरी बजट पेश करेगी। वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा आज सदन में पेपरलेस बजट पेश करेंगे। यह पहला ई-बजट होगा। बजट पढ़ने के लिए सभी विधायकों को टैबलेट दिए जाएंगे। हालांकि, सरकार के इस कदम पर विपक्ष ने एतराज भी जताया है। उनका कहना है कि इस नवाचार को शुरू करने से पहले सरकार को सभी विधायकों को ट्रेनिंग देनी चाहिए थी।
बता दें, इससे पहले साल 2021 में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने बजट भाषण टैबलेट से ही पढ़ा था। वहीं, बजट को लेकर कांग्रेस कटौती प्रस्ताव लेकर आएगी। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा है, सरकार योजनाओं के नाम पर फिजूलखर्ची कर रही है। इसलिए सरकार की नीतियों के खिलाफ कांग्रेस के विधायकों द्वारा कटौती प्रस्ताव रखे जाएंगे।
कहा जा रहा है कि पिछले साल की अपेक्षा सरकार इस बार बजट में 50 हजार करोड़ का इजाफा कर सकती है। इस बार सरकार साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये का बजट पेश कर सकती है। इसका बड़ा हिस्सा किसान, युवा और महिला वर्ग को मिल सकता है। लाडली बहना योजना की घोषणा करके शिवराज सरकार इसके खुले संकेत दे चुकी है। इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से होगी। इसमें ढाई लाख रुपये से कम इनकम ग्रुप वाले परिवारों की महिलाओं को हर महीने एक-एक हजार रुपये दिए जाएंगे। जून महीने से पात्र महिलाओं के बैंक खातों में यह रकम डाली जाएगी। इस योजना पर पांच साल में 60,000 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च आएगा। ऐसे में साफ है कि बजट 2023 का बड़ा हिस्सा महिलाओं को समर्पित होगा। इसी तरह किसानों और युवा वर्ग के लिए भी नई योजनाओं की घोषणा की जा सकती।
मध्यप्रदेश में पेट्रोल-डीजल पर सबसे ज्यादा टैक्स लगता है। स्टांप ड्यूटी भी यहां अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा चुकानी पड़ती है। पेट्रोलियम पदार्थों पर सरकार अपने हिस्से का टैक्स कम करे तो जनता के लिए राहत की बात हो सकती है। सरकारी कर्मचारियों की निगाहें भी बजट की ओर लगी हैं। वित्त मंत्री के पिटारे से इनके लिए क्या निकलता है, ये देखने वाली बात होगी।
27 फरवरी से करीब एक महीने तक चलने वाले इस बजट सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जाएंगे। इनमें सबसे ज्यादा वित्त विभाग के तीन, नगरीय विकास विभाग के दो जबकि उद्योग व निवेश, शिक्षा और माइक्रो, स्मॉल एंड मीडिया इंडस्ट्री के 1-1 विधेयक शामिल हैं। अंतरिम बजट होने की वजह से सरकार का इस सत्र को उपयोगी बनाने पर खासा जोर है। इसके लिए विपक्षी पार्टियों से सदन की कार्यवाही सुचारू चलाने की अपील भी की जा चुकी है। ताकि सत्र की बैठकें हंगामे, शोर-शराबे और नारेबाजी की भेंट न चढ़ जाए।