भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है कि राज्य के थानों में अब अपराधियों की जाति पूछी नहीं जाएगी। यह फैसला विशेष रूप से विमुक्त समाज और अन्य समाजों के लोगों को लेकर उठाए गए पुराने नियमों की समीक्षा के बाद लिया गया है। इस कदम का उद्देश्य जातिगत भेदभाव को खत्म करना और समानता को बढ़ावा देना है।
मौजूदा नियमों के तहत अपराधियों की जाति का उल्लेख पुलिस रिकॉर्ड में किया जाता था। यह प्रणाली अंग्रेजों के जमाने की थी और इसके बारे में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि यह समय की मांग के अनुसार बदलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल अपराधी ही अपराध का जिम्मेदार होता है, न कि उसका पूरा समाज। इसलिए अब थानों में जाति का उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं होगी।
जातिगत भेदभाव में कमी
दरअसल, जाति की जानकारी हटाने से जातिगत भेदभाव में कमी आएगी। इससे विमुक्त समाज और अन्य जातियों को अधिक सम्मान मिलेगा और उन्हें न्याय की प्रक्रिया में समान अवसर प्राप्त होंगे। जाति के आधार पर भेदभाव की संभावनाएं कम होंगी, जो सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
इससे अपराधियों को उनके अपराध के आधार पर ही सजा दी जाएगी। जाति की जानकारी के बिना अपराधियों की पहचान और न्याय प्रणाली में सुधार होगा। अपराधियों को उनके अपराध के आधार पर दंडित किया जाएगा, जिससे न्याय की प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बढ़ेगी। वहीं, जातिगत भेदभाव समाप्त होने से समाज में सामाजिक समरसता और एकता को बढ़ावा मिलेगा।
हालांकि, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की यह घोषणा एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है, जो जातिगत भेदभाव को समाप्त करने और न्याय प्रणाली में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की नई घोषणाएँ
1. विमुक्त, घुमक्कड़ और अर्ध घुमक्कड़ जातियों को समावेशित किया जाएगा…
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की है कि विमुक्त, घुमक्कड़ और अर्ध घुमक्कड़ वर्ग में जो जातियाँ शामिल नहीं हैं, उन्हें भी इस दायरे में लाया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ये जातियाँ भी सामाजिक और कानूनी लाभ प्राप्त कर सकें और समाज के मुख्यधारा में शामिल हो सकें।
2. पिछड़ी जातियों के लिए विशेष योजना…
पिछड़ी जातियों के लिए विशेष योजनाएँ बनाने की बात की गई है। यह योजना उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारने के उद्देश्य से तैयार की जाएगी, जिससे उनकी शिक्षा, रोजगार, और अन्य विकासात्मक आवश्यकताओं को प्राथमिकता दी जा सके।
3. प्रमाण पत्र जारी करने और जनगणना की व्यवस्था…
जाति प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए मूल स्थान को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके तहत, प्रमाण पत्र जारी करने के लिए जनगणना की जाएगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रमाण पत्र सही और समय पर जारी किए जा सकें।
4. मांगलिक भवन के लिए वित्तीय सहायता…
मांगलिक भवनों के निर्माण के लिए 20 लाख रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। यह सहायता विशेष रूप से धार्मिक और सामाजिक आयोजनों के लिए मांगलिक भवनों की सुविधा सुनिश्चित करने में मदद करेगी।
5. श्मशान की कमी को पूरा किया जाएगा…
श्मशानों की कमी को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। इस पहल से श्मशान सुविधाओं का विस्तार होगा, जो ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अंतिम संस्कार की सुविधाओं को बेहतर बनाएगा।
6. विमुक्त समाज के युवकों और युवतियों के लिए प्रशिक्षण…
विमुक्त समाज के युवकों और युवतियों के लिए पुलिस, सेना, और अग्निवीर जैसी संस्थाओं में भर्ती के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी। यह पहल उनके लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने और उनके सामाजिक समावेश को सुनिश्चित करने में मदद करेगी।
7. संभागीय स्तर पर केंद्र खोलने पर विचार…
संभागीय स्तर पर विभिन्न सामाजिक और विकासात्मक केंद्र खोलने पर विचार किया जाएगा। ये केंद्र स्थानीय स्तर पर समाज के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार से जुड़े कार्यक्रमों को लागू करने में सहायक होंगे।