ग्वालियर। केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने मंगलवार को वाटर प्लस श्रेणियों के शहरों की सूची जारी कर दी है। इस सूची में देश के चार शहरों को वाटर प्लस दिया गया है। इसमें इंदौर, न्यू दिल्ली, सूरत शामिल हैं, जबकि ग्वालियर मात्र तीन नंबरों से वाटर प्लस की श्रेणी में आने से रह गया। ग्वालियर को इस बार फिर से ओडीएफ प्लस-प्लस से संतोष करना पड़ा है। ग्वालियर को वाटर प्लस की श्रेणी से वंचित रखने में जो लापरवाही सामने आई है वह है नदियों-नालों के जरिए बहकर जाने वाले कचरे को रोकने में विफल होना। इसके लिए ग्वालियर नगर निगम नालों में जालियां नहीं लगा पाया।
ग्वालियर नगर निगम ने इस बार वाटर प्लस की कैटेगरी के लिए प्रतिस्पर्धा की थी, लेकिन इस प्रतिस्पर्धा में अधिकारियों की लापरवाही से शहर तीन नंबर से चूक गया। हालांकि नगर निगम ग्वालियर ने स्वच्छ भारत सर्वेक्षण कराने वाले विभाग को फिर से नंबरों की काउंटिंग करने के लिए पत्र लिखा है। केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ाें के अनुसार ग्वालियर नगर निगम की जो लापरवाही सामने आई है, उसके अनुसार वह दो परीक्षाओं में फेल हुआ है, इसमें स्वर्णरेखा और मुरार नदी में आने वाले नालों में जालियां नहीं लगाई जाना है। दूसरा गंदे पानी का साफ पानी में मिलान होना। इसके साथ ही ड्रेनेज सिस्टम ठीक नहीं होने के कारण शहर वाटर प्लस की श्रेणी में आने से चूक गया है।
लाकर में रखवाए राधा-कृष्ण के बेशकीमती जेवरातः गोपाल मंदिर में राधाकृष्ण के श्रृंगार के लिए लाए गए जेवरातों को पुलिस सुरक्षा के बीच बैंक के लाकर में रखवा दिया गया है। जेवरात रखवाने के बाद गोपाल मंदिर से लगा पुलिस का पहरा भी हटा लिया है। मंदिर में भगवान राधाकृष्ण के श्रृंगार के लिए सिंधिया राजवंश ने जेवरात दिए थे। इन जेवरातों से हर साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर राधारानी एवं श्रीकृष्ण का श्रृंगार किया जाता है। पुलिस एवं नगर निगम सहित बैंक अधिकारियों की सुरक्षा में प्रतिवर्ष इन जेवरातों को निकाला जाता है। इसके बाद दूसरे दिन कड़े सुरक्षा पहरे में जेवरातों को बैंक के लाकर के अंदर रखवाया जाता है।