ग्वालियर। चैत्र मास की नवरात्रि आज 2 अप्रैल से शुरू हो गए है। चैत्र नवरात्रि 2022 के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है और देशभर में चैत्र नवरात्रि को लेकर श्रद्धालुओं में एक अलग ही उत्साह रहता है। चारों ओर का वातावरण भक्तिमय हो जाता है। चैत्र नवरात्रि 2022 चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू हो जाता है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है, साथ ही पहले दिन देवी मां के शैलपुत्री स्वरूप की भी पूजा की जाती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार चैत्र नवरात्रि पर पहले दिन देवी मां घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। गौरतलब है कि हर बार मां के आने का वाहन अलग होता है। ऐसे में इस बार चैत्र नवरात्रि 2022 के पहले दिन आइए जानते हैं कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाएगी। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 02 अप्रैल को प्रातः 08:04 बजे से 08.29 मिनट तक रहेगा। कुल अवधि 25 मिनट है।
काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थल की सफाई करते समय इसे गंगाजल से शुद्ध करें और मंदिर को फूलों और रोशनी से सजाएं। पूजा में सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित करें और सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें।
पूजा स्थल के पास एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और खंभे के बीच में अक्षत का ढेर बनाकर उस पर कलश स्थापित करें और कलश पर स्वास्तिक बनाएं और उसके ऊपरी सिरे पर मोली बांधें। साथ ही कलश में साबुत, सुपारी, सिक्का, हल्दी की गांठ, दूर्वा, अक्षत और आम के पत्ते डाल दें। इसके बाद एक कच्चा नारियल लें और उस पर चुनरी लपेट दें। इस नारियल को कलश के ऊपर स्थापित करें। फिर देवी मां का आह्वान करें। धूप-दीप से कलश की पूजा करें और उसके बाद मां दुर्गा की पूजा करें और उन्हें भोग लगाएं।
ये है पूजा की सामग्री
मिश्री, लौ मिट्टी, मिट्टी का घड़ा, एक छोटी चुनरी, एक बड़ी चुनरी, माता के श्रृंगार की वस्तुएं, देवी की मूर्ति या फोटो, लाल कपड़ा, चौकी, कलश, कुमकुम, लाल झंडा, सुपारी, कपूर, जौ, नारियल, जायफल, लौंग, बताशे, आम के पत्ते, कलावा, केला, घी, अगरबत्ती, दीया, अगरबत्ती, माचिस, फूलों का हार, गाय के गोबर से बने उपले, सूखे मेवे, मिठाई, लाल फूल, गंगाजल और दुर्गा सप्तशती या दुर्गा स्तुति आदि।
घट स्थापना का शुभ समय
सुबह: 7:30 से नौ बजे शुभ
दोपहर: 12 से 1:30 बजे चर
दिन: 1:30 से तीन बजे लाभ
दिन: तीन से 4:30 बजे अमृत
शाम गौधूली: छह से 7:30 लाभ
रात्रि: नौ से 10:30 शुभ
रात्रि:10:30 से 12:00 अमृत
शुभ स्थिर लग्न वृष सुबह 8:07 से 10:05 तक
सिंह दिन में 2:34 से 4:46 तक
वृश्चिक रात्रि में 9:12 से 11:28 बजे तक रहेगा।