झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के वरिष्ठ नेता, चंपई सोरेन ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए पार्टी से बगावत का ऐलान कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि वह अब जेएमएम में नहीं रहेंगे। सोरेन ने मुख्यमंत्री पद वापस लिए जाने को अपमानजनक बताया और इस निर्णय से खुद को आहत महसूस किया।
चंपई सोरेन की नाराजगी
चंपई सोरेन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से अपने इस निर्णय की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, “आज के समाचारों को देखकर, आप सभी के मन में कई सवाल उठ रहे होंगे। क्या ऐसा हुआ जिसने कोल्हान के एक छोटे से गांव में रहने वाले एक गरीब किसान के बेटे को इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया? मैंने हमेशा जन-सरोकार की राजनीति की है, चाहे वह मजदूरों के अधिकारों की लड़ाई हो या झारखंड आंदोलन।”
मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने का मुद्दा
सोरेन ने आगे कहा, “31 जनवरी को इंडिया गठबंधन ने मुझे झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में चुना। मैंने अपने कार्यकाल के दौरान पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ राज्य की सेवा की। परंतु, जब मुझे अचानक 3 जुलाई को विधायक दल की बैठक के बारे में बताया गया और कहा गया कि अब आप मुख्यमंत्री पद पर नहीं रहेंगे, तो यह मेरे लिए बेहद अपमानजनक था।”
विकल्पों की तलाश में चंपई सोरेन
उन्होंने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए लिखा, “मैं पहली बार भीतर से टूट गया हूँ। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं। इस पार्टी के साथ इतने वर्षों तक जुड़े रहने के बाद भी जब मेरे आत्म-सम्मान को ठेस पहुंची, तो मुझे अपना भविष्य सोचने पर मजबूर होना पड़ा। मैंने उस बैठक में ही कह दिया कि अब मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू हो रहा है। अब मेरे पास तीन विकल्प हैं – राजनीति से सन्यास लेना, अपना अलग संगठन खड़ा करना, या फिर किसी और के साथ मिलकर आगे बढ़ना।”
चंपई सोरेन ने अपने पोस्ट में इस बात का भी जिक्र किया कि वो आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव तक सभी विकल्पों के साथ तैयार हैं। अब देखना यह होगा कि चंपई सोरेन अपनी अगली राजनीतिक पारी किस दिशा में ले जाते हैं और जेएमएम के लिए यह कितना बड़ा झटका साबित होता है।