भाेपाल। दक्षिण पश्चिम मानसून प्रदेश के पूरे चंबल संभाग के साथ उज्जैन एवं ग्वालियर संभागों के कुछ हिस्सों से जा चुका है, जिसकी निर्गमन लाइन उत्तरकाशी, नजियाबाद, आगरा, ग्वालियर, रतलाम, भरूच से होकर गुजर रही है। सोमवार को प्रदेश के जबलपुर, सागर, भोपाल, नर्मदापुरम एवं उज्जैन संभागों के जिलों में कहीं-कहीं वर्षा दर्ज की गई।रतलाम में लगभग एक घंटे तक झमाझम वर्षा हुई। हर्राई में एक सेमी वर्षा दर्ज की गई।शेष संभागों के जिलों का मौसम मुख्यत: शुष्क रहा। प्रदेश में सर्वाधिक अधिकतम तापमान 36 डिग्रीसेल्सियस ग्वालियर में दर्ज किया गया। सबसे कम तापमान 19 डिग्रीसेल्सियस बैतूल, मंडला व मलांजखंड का रहा। मौसम विज्ञानियों के अनुसार चार अक्टूबर मंगलवार को रीवा, शहडोल, नर्मदापुरम संभागों के जिलों में डिंडोरी, विदिशा, रायसेन, सीहोर, खंडवा, देवास, शाजापुर, आगर, बुरहानपुर, रतलाम एवं मंदसौर जिलों में कहीं-कहीं गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ सकती हैं। पांच व छह अक्टूबर को आसमान आंशिक मेघमय रहेगा और मौसम मुख्यत: शुष्क रहेगा।
वरिष्ठ मौसम विज्ञानी डा. ममता यादव के अनुसार बंगाल की खाड़ी और उसके आसपास बना कम दबाव का क्षेत्र, संबंधित चक्रवाती परिसंचरण के साथ समुद्र तल से 5.8 किमी ऊपर तक फैला हुआ है, जो ऊंचाई के साथ दक्षिण-पश्चिम की ओर झुका हुआ है। इसके अगले दो दिनों के दौरान पश्चिम उत्तर-पश्चिम की ओर आंध्र प्रदेश तट की ओर बढ़ने की संभावना है। इसका असर दक्षिणी मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ तक हो सकता है। इस मौसम प्रणाली की वजह से छिंदवाड़ा, बैतूल, मंडीदीप, धार, इंदौर, रीवा, शहडोल, खरगोन में कुछ दिनों तक वर्षा का सिलसिला रुक-रुककर जारी रहने की संभावना है। डा. ममता ने बताया कि यह मौसम प्रणाली इस सीजन का अंतिम है, इसके बाद पूरे प्रदेश से मानसून विदा हो जाएगा।
पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि बंगाल की खाड़ी के आंध्रा तट पर पिछले तीन दिनाें से हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात बना हुआ था। रविवार काे इसी के पास एक अन्य चक्रवात भी बन गया था। सोमवार को दोनों का विलय हाे गया, जिससे यह काफी प्रभावशाली हो गया। इसके असर से मंगलवार से मध्य प्रदेश में वर्षा का सिलसिला शुरू हाेने के आसार हैं। रुक-रुककर वर्षा का सिलसिला नौ अक्टूबर तक बना रह सकता है।