भोपाल।भारत के कई राज्यों पर प्री-मानसून की गतिविधियां बढ़ती नजर आ रही हैं। मानसून अंडमान-निकोबार पहुंच चुका है और 27 मई से एक जून तक ये केरल पहुंच जाएगा और फिर देश के कई हिस्सों पर ये प्रभाव डालेगा, लेकिन मध्य प्रदेश की बात करें, तो यहां इसका असर दिखाई देने में वक्त लगेगा। मौसम विज्ञानियों की मानें तो भले ही प्रदेश में दो दिन तापमान कम हुआ है और एक-दो दिन ऐसा ही स्थिर बना रहेगा, लेकिन गर्मी दोबारा बढ़ने की संभावना है। प्रदेश के लोगों को इतनी जल्दी गर्मी से छुटकारा नहीं मिलने वाला है। मई के अंतिम सप्ताह में गरज-चमक के साथ कुछ जिलों में थोड़ी बहुत बारिश हो सकती है। मंगलवार की बात करें तो प्रदेश में सबसे अधिक तापमान नौगांव व सीधी का 45 डिग्री सेल्सियस रहा। वहीं नौगांव, सीधी व दतिया में लू चली। इधर भोपाल का 42.7, इंदौर का 42.9, जबलपुर का 42.1 एवं ग्वालियर का 43.6 डिग्रीसे. तापमान रहा।
इस साल का मौसम बीते सालों की तुलना में थोड़ा अलग रहा। इस साल प्री-मानसून का महीना माने जाने वाले मई में भी बहुत कम बारिश हुई। आंकड़ों की मानें तो 16 मई तक प्रदेश में सामान्य तौर पर 13.1 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस साल 2.3 मिमी ही हुई यानी 82 प्रतिशत कम बारिश हुई। प्रदेश के कुछ जिले जिनमें मई के महीने में बारिश होती है, वे भी इस साल सूखे ही रहे। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस साल एक मई से 16 मई के बीच ग्वालियर, दतिया, अशोकनगर, दमोह, सिहोर, होशंगाबाद, हरदा, बैतुल, पन्ना आदि जगहों में प्री-मानसून गतिविधि नहीं हुई।
प्रदेश भर में मई के बचे हुए दिनों में भी प्री-मानसून गतिविधियां कम होने की संभावना है। कुछ ही जिले हैं, जहां थोड़ी बहुत बारिश होगी, लेकिन वहां भी गर्मी से राहत नहीं मिलेगी, उल्टा उमस बढ़ेगी। वरिष्ठ मौसम विज्ञानी ममता यादव ने बताया कि इस साल पश्चिमी विक्षोभ बहुत कम आए और जो आए, वो भी ज्यादा प्रभावशाली नहीं रहे। इस वजह से पश्चिमी और पूर्वी हवाओं का परस्पर टकराव ना के बराबर हुआ। इस वजह से प्री-मानसून गतिविधियां कम हुईं। इसके साथ ही मई के महीनों में ज्यादा समय आसमान साफ ही रहा, जिसकी वजह से तेज धूप सीधे पड़ी।