भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार इस बार शराब नीति में बदलाव करने जा रही है। पहले दुकानों के समूह बनाकर नीलामी की जाती थी, लेकिन अब 2025-26 के लिए एकल दुकान की नीलामी होगी, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और राजस्व में वृद्धि होगी।
प्रदेश में कुल 3,605 कंपोजिट शराब दुकानें हैं, जिन्हें 1,100 समूहों में बांटकर नीलाम किया गया था। अब यह निर्णय लिया गया है कि आदिवासी क्षेत्रों में ग्रामसभा की अनुमति से ही शराब दुकानें खोली जाएंगी। इसके अलावा, धार्मिक स्थलों के पास स्थित कुछ शराब दुकानें भी बंद की जाएंगी। 2025-26 के लिए प्रस्तावित नीति को जल्द ही कैबिनेट में पेश किया जा सकता है।
पुरानी प्रक्रिया और बदलाव
मध्य प्रदेश में देसी और विदेशी शराब के लिए अलग-अलग दुकानों के स्थान पर कंपोजिट दुकानों का प्रावधान किया गया है। पिछले वर्षों में इन दुकानों का वार्षिक मूल्य 15 प्रतिशत बढ़ाकर नवीनीकरण किया गया था। चूंकि दुकानों के समूह बनाकर नीलामी की जाती थी, अधिकतर दुकानें नवीनीकरण प्रक्रिया में चली गईं। इस बार, नवीनीकरण की बजाय एकल दुकान की नीलामी पर जोर दिया जाएगा, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और नए लोगों को मौका मिलेगा, साथ ही राजस्व में भी वृद्धि होगी। 2003 में एकल दुकान नीलामी की व्यवस्था थी।
अहाते का विकल्प
2023 में शिवराज सरकार ने अहाते बंद करने का निर्णय लिया था, यह मानते हुए कि अहातों में शराब पिलाने से कानून व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ता है। हालांकि, इसके बाद दुकानों के आसपास लोग शराब पीने लगे हैं, जिससे आमजन को असुविधा हो रही है। इस स्थिति को देखते हुए सरकार एक वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार कर सकती है।
धार्मिक स्थलों के आसपास दुकानें बंद
उज्जैन और अन्य धार्मिक स्थलों के आसपास स्थित शराब दुकानों को भी बंद किया जा सकता है। महाकाल लोक के बनने के बाद पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है, और इन दुकानों के आसपास कानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इससे गलत संदेश भी जाता है, इसलिए कुछ दुकानों को बंद किया जा सकता है।
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