मध्यप्रदेश में हुए उपचुनाव में कांग्रेस को 28 सीटों में से 9 पाकर ही संतोष करना पड़ा है, हार स्वीकारने के बाद अब संगठन में मंथन का दौर भी शुरु हो गया है, कमलनाथ के निवास पर कुछ ही देर में शुरु होने वाली विधायक दल की बैठक में कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी या नेता प्रतिपक्ष का पद, दोनों में से एक छोड़ सकते हैं। इसको लेकर कमलनाथ बैठक में प्रस्ताव भी रख सकते हैं। यहां तक संभावना व्यक्त की जा रही है कि वे नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ देगें, इसकी उम्मीद इसलिए भी ज्यादा है कि पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह व राज्यसभा सांसद भी इस ओर इशारा कर चुके है।
बताया जाता है कि दिग्विजय सिंह ने अपने बयान में सीधे तो पर निशाना तो सिंधिया पर साधा है। उन्होंने कहा लोग समझते थे सिंधिया के जाने के बाद पार्टी खत्म हो जाएगी, लेकिन ग्वालियर-चंबल में नई कांग्रेस खड़ी हो गई है। इससे साफ है कि कांग्रेस का इस इलाके में फोकस ज्यादा रहेगा। अभी तक इस इलाके में सिंधिया का ही वर्चस्व रहा है, लेकिन उनके भारतीय जनता पार्टी में जाने के बाद अब कांग्रेस नए सिरे से जमीन तैयार करने की कवायद की जाएगी। इसे लेकर भी विधायक दल की बैठक में विचार किया जा सकता है।
दिग्विजय सिंह की अनुशंसा पर दी गई टिकटें
उपचुनाव में उम्मीदवारों के चयन के लिए भले ही तीन बार के सर्वे को आधार बताया गया, लेकिन ग्वालियर-चंबल में अधिकांश टिकट दिग्विजय सिंह की अनुशंसा पर ही दी गई थी। दरअसल समर्थकों के लिहाज से देखें तो सिंधिया के पार्टी छोडऩे के बाद कांग्रेस में केवल दिग्विजय ऐसे नेता हैं, जिनका इस क्षेत्र में प्रभाव है।
इन्हे मिल सकता है नेता प्रतिपक्ष का पद
उपचुनाव में कांग्रेस को हासिल हुई 9 सीटों में 4 ग्वालियर और 3 सीटें चंबल क्षेत्र से हैं। इस लिहाज से नेता प्रतिपक्ष का पद इस इलाके के सीनियर विधायक को ही दिया जाना चाहिए, यदि ऐसा हुआ तो विधायक व पूर्व मंत्री गोविंद सिंह का नाम सामने आ सकता है जो दिग्विजयसिंह के काफी करीबी भी है।