भोपाल। सीएम शिवराज आज सुबह राजधानी भोपाल में स्थित जनजातीय संग्रहालय में पहुंचे। उनके साथ प्रदेश की पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर समेत संस्कृति विभाग के आला अधिकारी भी मौजूद थे। इस अवसर पर आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधियों ने उनका पारंपरिक ढंग से स्वागत किया। सीएम ने यहां पर जनजातीय संग्रहालय में नवनिर्मित चित्र दीर्घा ‘जनजातीय रणबांकुरे’ का लोकार्पण किया। जनजातीय रणबांकुरों के कृतित्व और बलिदान को समर्पित यह दीर्घा अत्यंत ही मोहक और प्रेरक है। सीएम शिवराज इस दौरान खुद भी आदिवासी रंग में रंगे नजर आए। सीएम ने इस अवसर पर 15 नवंबर को जंबूरी मैदान पर आयोजित होने जा रहे जनजाति गौरव दिवस कार्यक्रम में प्रस्तुति देने वाले प्रदेशभर के लगभग 700 आदिवासी कलाकारों से भी संवाद किया। इस दौरान उन्होंने आदिवासी कलाकारों के साथ मांदल की थाप पर उनके साथ कदम से कदम मिलाए और कुछ देर के लिए थिरके भी।
सीएम शिवराज ने अपने संवोधन में कहा कि जनजातीय भाई-बहनों के साथ ऐसा लगा जैसे स्वर्ग में आ गए हों। जनजातीय भाई-बहनों के विकास व जनता के कल्याण के लिए कल का दिन मील का पत्थर साबित होगा। भोपाल और मध्यप्रदेश आज जनजातीय रंग में रंगा है। हमारी संस्कृति, हमारी कला, हमारे नृत्य, हमारी परम्पराएं अदभुत हैं और अदभुत है जनजातीय समाज। हमारे जनजातीय भाई-बहनों ने भारत माता के पैरों से गुलामी की बेड़ियां काटने के लिए खून की अंतिम बूँद तक दी है। एक नहीं अनेकों ऐसे योद्धा हुए हैं जिन्होंने ऐसा शौर्य दिखाया कि अंग्रेज उनके नाम से कांप जाते थे। हमारी विरासत वीरता और बहादुरी से भरी है। राजा संग्राम शाह जनजातीय समुदाय के बड़े योद्धा थे। इसलिए कला संस्कृति के क्षेत्र में अच्छा काम करने वालों को प्रतिवर्ष राजा संग्राम शाह के नाम पर 5 लाख रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा। राजा संग्राम शाह ने 52 गढ़ों पर शासन किया। प्रतिवर्ष जनजातीय कला, संस्कृति, नृत्य व गीत के क्षेत्र में अच्छा काम करने वाले जनजातीय भाई-बहन को राजा संग्राम शाह सम्मान पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा कि हमारे आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिण सशक्तीकरण का अंग भी है यह जनजाति गौरव दिवस। रानी कमलापति का बलिदान हम भूलेंगे नहीं। सम्मान की खातिर उन्होंने प्राण दे दिए। धन्य हैं हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, जिन्होंने राज्य सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए तत्काल हबीबगंज रेलवे स्टेशन का रानी कमलापति रेलवे स्टेशन कर दिया। मैंने छिंदवाड़ा में विश्वविद्यालय का नाम राजा शंकर शाह रघुनाथ शाह विश्वविद्यालय कर दिया। जितने भी जनजातीय योद्धा हुए हैं, उनका स्मारक बनाया। यह जनजाति गौरव दिवस योद्धाओं और वीरों को प्रणाम व हमारी कला, संस्कृति, परम्पराओं को जीवित रखने का साधन है।
कला, संगीत और लोकगीत की धरोहर को प्रवाहमान रखने वाले हमारे जनजातीय भाई-बहनों के लिए लोकनृत्य सिर्फ उनके जीवन का अभिन्न अंग ही नहीं, बल्कि आत्मा को अप्रतिम आनंद देने वाला अलौकिक माध्यम है। प्रकृति के स्वर के समान गीत-संगीत मन को प्रफुल्लित कर देते हैं।#जनजातीय_गौरव_दिवस pic.twitter.com/jiGkR3ibT9
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) November 14, 2021