भोपाल। कोयले की कमी से मध्यप्रदेश में बिजली संकट को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार देर शाम उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। उन्होंने कहा कि कोयले पर निर्भरता को कम करने के लिए सौर ऊर्जा पर फोकस किया जाएगा। इसके लिए सौर ऊर्जा प्लांटों की स्थापना जरूरी है। इसके लिए एक-दो मेगावॉट तक के प्लांट लगाने को प्रोत्साहन देने के लिए पॉलिसी बनाई जाएगी।
प्रदेश में बिजली आपूर्ति का बड़ा हिस्सा थर्मल पावर (कोयले से बनने वाली बिजली) प्लांट में उत्पादित होता है, लेकिन कुछ समय से कोयले की कमी से उत्पादन प्रभावित हो रहा है। इस वजह से प्रदेश में अघोषित कटौती हो रही है। मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि किसानों को सिंचाई के लिए कम से कम 10 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जाए। इसके लिए प्रत्येक स्तर पर व्यवस्था सुनिश्चित करें। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में किफायती दर पर बिजली उपलब्ध कराने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने यह बैठक रबी फसल के लिए बिजली आपूर्ति के संबंध में बुलाई थी, लेकिन कोयले की कमी से थर्मल पावर प्लांट में बिजली उत्पादन की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली उत्पादन में कोयले पर निर्भरता कम करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाना जरूरी है। इसके साथ ही बिजली विभाग को राजस्व बढ़ाने के लिए सभी स्तर पर प्रयास आवश्यक हैं।
शिवराज ने कहा कि यदि हम क्वालिटी बिजली का प्रदाय सुनिश्चित करते हैं, तो बिलों के नियमित भुगतान के लिए उपभोक्ताओं को मानसिक रूप से तैयार करने में मदद मिलेगी। ट्रांसफार्मर जल्द खराब होने या जलने की समस्या पर नाराजगी जताते हुए मुख्यमंत्री ने ट्रांसफार्मरों के फेलियर रेट का अध्ययन कराने के निर्देश दिए।
बैठक में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने विभागीय अमले में वृद्धि की आवश्यकता बताई। बैठक में रबी सीजन में विद्युत प्रदाय सुनिश्चित करने, फ्लैक्सी प्लान, ट्रांसफार्मरों और कोयले की उपलब्धता के संबंध में चर्चा हुई। इस दौरान बताया गया कि रबी सीजन में अधिकतम विद्युत मांग को दोपहर में शिफ्ट करने की संभावनाओं पर भी चर्चा हुई, क्योंकि दोपहर में सौर ऊर्जा की उपलब्धता अधिकतम रहती है। बैठक में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव ऊर्जा, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा संजय दुबे और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।