भोपाल। एमपी में पेसा एक्ट लागू हो चुका है। ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पेसा एक्ट लागू करने की कार्रवाई शीघ्रता से करने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने कल बैठक में इस एक्ट को सरलीकृत कर प्रदेश में जल्द से जल्द चरण बद्ध तरीके से क्रियान्वयन करने की बात कही है। ताकि अधिनियम के लागू होने से ग्राम सभाएं अपने-अपने हिसाब से सभी निर्णय ले सके।
सीएम शिवराज ने कल अधिकारियों के साथ बैठक में कहा कि पेसा एक्ट लागू करने के लिए आवश्यक कार्यवाही शीघ्रता हो। अधिनियम के प्रावधानों पर विभिन्न माध्यमों से विचार-विमर्श करे। जन-सामान्य की भाषा में नियम प्रस्तावित करें, जिससे आमजन उसे आसानी से समझ सकें। कठिन शब्दों के स्थान पर सरल शब्दों का इस्तेमाल किया जाए। सीएम ने कहा कि एक्ट को अंतिम रूप देने के लिए समय-सीमा का भी ध्यान रखा जाये। ताकि किसी कोई परेशानी न हो। पेसा एक्ट लागू होने से साहूकारी, सामाजिक सेक्टरों की संस्थाओं के नियंत्रण पर भी सीएम ने अधिकारियों से चर्चा की है। उन्होंने कहा कि पेसा एक्ट लागू होने से ग्राम सभाओं के अधिकार-क्षेत्र में वृद्धि कर पंचायती राज व्यवस्था को सुदृढ़ किया जायेगा। इसलिए इस काम पर विशेष फोकस रखा जाए।
बता दें कि पेसा एक्ट के तहत स्थानीय संसाधनों पर स्थानीय अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों की समिति को अधिकार दिए जाएंगे। जिससे अनुसूचित जाति और जनजाति वाली ग्राम पंचायतों को सामुदायिक संसाधन जैसे जमीन, खनिज संपदा, लघु वनोपज की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार मिल जाएगा। पेसा एक्ट लागू होने के बाद सामुदायिक वन प्रबंधन समितियां वर्किंग प्लान के अनुसार, हर साल माइक्रो प्लान बनाएंगे और उसे ग्राम सभा से अनुमोदित कराएंगे। गौरतलब है कि सामुदायिक वन प्रबंधन समिति का गठन भी ग्राम सभा द्वारा किया जाएगा।
राज्य में तेंदूपत्ता बेचने का काम भी वन समिति करेगी। बता दें कि पेसा एक्ट 24 अप्रैल 1996 को बनाया गया था और कई राज्यों में यह पहले से लागू है। पेसा कानून को लाने का उद्देश्य आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्व-शासन को मजबूती देना है। देश के 10 राज्यों में यह कानून लागू है। अब मध्य प्रदेश सरकार ने इस कानून को राज्य में पूरी तरह से लागू करने का ऐलान कर आदिवासियों को बड़ी सौगात दी है। पेसा कानून के तहत ग्राम सभाओं को आदिवासी समाज की परंपराओं, रीति रिवाज, सांस्कृतिक पहचान, समुदाय के संसाधन और विवाद समाधान के लिए परंपरागत तरीकों के इस्तेमाल के लिए सक्षम बनाया गया है। जनजातीय ग्राम सभाओं को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास के काम में अनिवार्य परामर्श की शक्ति दी गई है। साथ ही खदानों और खनिजों के लाइसेंस/पट्टा देने के लिए ग्राम सभा को सिफारिशें देने का अधिकार दिया गया है।