मध्यप्रदेश में बिजली संकट को लेकर सरकार में मतभेद सामने आया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बांध खाली होने के कारण बिजली बनना बंद हो गया है, जबकि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने प्रदेश में बिजली कटौती होने से साफ इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि कोई विधायक भी विधायक सबूत दे कि 18 से 20 घंटे बिजली बंद हो रही है, तो मैं खुद जाकर देखूंगा। यदि ऐसा होता है तो तत्काल कार्रवाई होगी। सरकार के प्रवक्ता एवं गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि कोयले की कमी और प्लांट में तकनीकी दिक्कत के कारण बिजली का उत्पादन प्रभावित हुआ है।
मुख्यमंत्री ने मंगलवार को भोपाल में अपने निवास पर आयोजित विमुक्त घुमक्कड़ एवं अर्द्धघुमक्कड़ जनजाति पंचायत में अपने संबोधन के दौरान कहा- मैं परेशान था, क्योंकि प्रदेश में बिजली संकट पैदा हो गया है। इसका बड़ा कारण नर्मदा नदी में पानी नहीं होना है। बांध खाली पड़े हैं, जिससे पानी से बिजली बनना बंद हो गई है।
सीएम के बयान के विपरीत ऊर्जा मंत्री तोमर का कहना है कि प्रदेश में बिजली का कोई संकट नहीं है, जितनी मांग है, उतनी बिजली की सप्लाई हो रही है। प्रदेश में कहीं भी बिजली कटौती नहीं हो रही है। हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया कि कोयला खदानों में बारिश का पानी भरने और मेंटेनेंस के चलते कहीं-कहीं 1 से 2 घंटे के लिए कटौती की गई थी। उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों द्वारा कोयले का भुगतान नहीं करने के कारण बिजली का संकट नहीं है। मध्य प्रदेश की स्थिति राजस्थान और महाराष्ट्र से बेहतर है।
बिजली संकट को लेकर कांग्रेस सरकार पर हमलावर है। इसको लेकर तोमर ने कहा कि कांग्रेस मैदान में दिखाई नहीं देती है। प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर-चंबल बाढ़ के दौरान सड़कों पर घूमें। कांग्रेस की सरकार के दौरान भी जब कोई हादसा हुआ, केवल सिंधिया ही मौके पर गए। विपक्ष में रहते हुए शिवराज सिंह चौहान सक्रिय रहे, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ मंत्रालय से बाहर नहीं निकले।
तोमर का बयान आने से पहले सरकार के प्रवक्ता व प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने स्वीकार किया कि प्रदेश में बिजली संकट है। उन्होंने इसकी वजह बताई कि बिजली का संकट की वजह बारिश कम होने से बांधों में पर्याप्त पानी नहीं है। इसके साथ ही कोयले की कमी और प्लांट में तकनीकी दिक्कत के कारण बिजली का उत्पादन प्रभावित हुआ है।
भाजपा MLA पत्र लिख चुके हैं
इससे पहले टीकमगढ़ से भाजपा विधायक राकेश गिरि ने अघोषित बिजली कटौती को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा था। इसमें कहा था कि ग्रामीण इलाकों में बिजली कटौती होने से किसान परेशान हैं। मैहर से बीजेपी विधायक नरेंद्र त्रिपाठी ने तो 4 सितंबर से विंध्य क्षेत्र में बिजली कटौती को लेकर आंदोलन करने का ऐलान किया है।
कांग्रेस बड़े आंदोलन की तैयारी में
प्रदेश में अघोषित बिजली कटौती को लेकर कांग्रेस बड़े आंदोलन की तैयारी कर रही है। इसकी वजह यह है कि ग्रामीण इलाकों में 10 से 15 घंटे तक बिजली बंद होने से सबसे ज्यादा किसान परेशान है। दरअसल, प्रदेश में रबी का सीजन आने वाला है। इसके चलते अक्टूबर से बिजली की डिमांड बढ़ जाएगी। प्रदेश में रबी सीजन में यह डिमांड बढ़ कर 16 से 17 हजार मेगावाट हो जाएगी। ऐसे में बिजली का उत्पादन कम हुआ तो बिजली संकट गहराने के पूरे आसार हैं।