भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस में उठती कलह अब कोई नई बात नहीं रही, लेकिन दिल्ली में बैठे पार्टी के शीर्ष नेताओं के लिए यह चिंता का विषय बन चुका है। लंबे समय से राज्य में कांग्रेस के भीतर दो गुट नजर आ रहे हैं। एक गुट में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे वरिष्ठ नेता हैं, जबकि दूसरे गुट में युवा नेता और प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी हैं। 2023 में विधानसभा चुनावों में हार और 2024 के लोकसभा चुनावों में 29 सीटें गंवाने के बावजूद पार्टी एकजुट होकर बीजेपी का मुकाबला नहीं कर पा रही है और घरेलू कलह में उलझी हुई है।
सोमवार को हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में इस कलह का खुलासा हुआ, जब कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और मीनाक्षी नटराजन जैसे दिग्गज नेताओं ने आरोप लगाया कि उन्हें दरकिनार किया जा रहा है और बैठकों तक की सूचना नहीं दी जाती।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का कांग्रेस से मोहभंग होने की खबरें पहले भी आई थीं, और विधानसभा चुनाव के बाद तो उनके बीजेपी में जाने की अटकलें भी तेज हो गई थीं। हालांकि, यह सियासी चर्चा खत्म हो गई थी, लेकिन अब एक बार फिर कमलनाथ ने बैठक में अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि नियुक्तियों से लेकर बैठकों तक की सूचना नहीं दी जाती, और बिना उनके विचार विमर्श के फैसले किए जाते हैं।
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और मीनाक्षी नटराजन ने भी कमलनाथ का समर्थन किया और कहा कि पार्टी के नए नेताओं की ओर सीनियर नेताओं की उदासीनता बढ़ रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि सभी फैसले सभी के विचार से किए जा रहे हैं, और उन्होंने दावा किया कि कुछ नियुक्तियों का गलत पत्र जारी हो गया था, जिसे तुरंत निरस्त कर दिया गया। हालांकि, यह दावा पार्टी में चर्चा का विषय बन चुका है, और कई नेता पटवारी के फैसलों को लेकर असंतुष्ट हैं।
मालवा, विंध्य और बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में भी कांग्रेस में उठते मतभेद स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं, जिससे पार्टी की आंतरिक स्थिति को लेकर सवाल उठ रहे हैं। अब यह देखना होगा कि इस कलह के बीच पार्टी अपनी स्थिति कैसे संभालती है।