भोपाल: विजयपुर उपचुनाव को लेकर कांग्रेस ने अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने की कवायद शुरू कर दी है। बीजेपी के दो पूर्व विधायकों में कांग्रेस को अपनी जीत की संभावनाएं नजर आ रही हैं। इस बार, कांग्रेस का फोकस बीजेपी के पुराने नेताओं पर है, जो पार्टी से नाराज चल रहे हैं।
रामनिवास रावत को मैदान में उतारेगी बीजेपी
बीजेपी रामनिवास रावत को ही विजयपुर उपचुनाव में उम्मीदवार बनाने का मन बनाया है। रावत, जो पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे, कुछ समय पहले बीजेपी में शामिल हुए थे। अब बीजेपी उन्हें ही इस महत्वपूर्ण उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारने की तैयारी में है।
कांग्रेस के निशाने पर बीजेपी के पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी
वहीं, कांग्रेस की नजर अब बीजेपी के पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी पर है। कांग्रेस के नेता उन्हें इस उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं। आदिवासी, जो कि कभी बीजेपी के प्रमुख नेता रहे हैं, अब रावत की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे हैं। यही कारण है कि कांग्रेस को उनमें अपने लिए संभावनाएं नजर आ रही हैं।
रावत की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे बीजेपी के पूर्व विधायक
बीजेपी के पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी और बाबूलाल मेवरा, दोनों ही रामनिवास रावत की उम्मीदवारी का खुलकर विरोध कर रहे हैं। दोनों नेताओं का मानना है कि रावत को उम्मीदवार बनाने से पार्टी में असंतोष बढ़ सकता है। उनके इस विरोध ने कांग्रेस को अपनी रणनीति में बदलाव का मौका दिया है, जहां वे इन नाराज नेताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस की नई रणनीति से बढ़ा सियासी पारा
कांग्रेस की इस नई रणनीति ने विजयपुर उपचुनाव में सियासी पारा बढ़ा दिया है। दोनों पार्टियों के बीच घमासान तेज हो गया है, और अब देखना होगा कि इस उपचुनाव में किसकी रणनीति कारगर साबित होती है। कांग्रेस को उम्मीद है कि बीजेपी के नाराज नेताओं का समर्थन उन्हें इस चुनाव में बढ़त दिला सकता है, जबकि बीजेपी अपने पुराने नेताओं को एकजुट करने की कोशिश में जुटी हुई है।
विजयपुर का यह उपचुनाव न केवल क्षेत्रीय बल्कि राज्य स्तर पर भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इसके नतीजे अहम भूमिका निभा सकते हैं।