भोपाल। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केके मिश्रा की एक्स पर एक पोस्ट ने पार्टी की राजनीति में हलचल मचा दी है। दलित और पिछड़ों के साथ न्याय नहीं किए जाने के राहुल गांधी की टिप्पणी के जवाब में मिश्रा ने कहा कि इस मौजूदा दौर में पार्टी में ‘विचारधारा की सीधी लड़ाई लड़ने वाले नेता अब नहीं बचे हैं, या तो उन्हें अन्य कारणों से विलुप्त कर दिया गया है। आपके यशस्वी नेतृत्व में ऐसे नेताओं या पौध को हमें आगे लाना होगा या उनका निर्माण करना होगा।’
कांग्रेस में चर्चा है कि केके मिश्रा का इशारा वरिष्ठ नेता अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह की ओर है। पार्टी ने अर्जुन सिंह के अंतिम समय में कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्यता भी छीन ली थी। इसी तरह दिग्विजय को भी पार्टी ने मुख्यधारा की राजनीति से अलग रखा है।
एक्स पर मिश्रा ने लंबा-चौड़ा लिखा
सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर की गई पोस्ट में मिश्रा ने कहा कि मौजूदा दौर की राजनीति में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की गुरुवार को व्यक्त यह स्वीकारोक्ति काबिल-ए-तारीफ़ है, जिसमें उन्होंने इस सच्चाई को बेबाकी के साथ स्वीकार किया है कि पिछली सदी के आख़िरी दशक में कांग्रेस पार्टी ने दलितों, पिछड़े वर्गों की अनदेखी की और स्वर्गीय इंदिरा गांधी के दौर में इन वर्गों का हमें पूर्ण समर्थन था।
मिश्रा ने आगे लिखा
राहुल जी, निःसंदेह इस हकीकत को हमें स्वीकारना ही होगा, जिसे आपके अलावा आज तक किसी ने इसे नहीं स्वीकारा। 1971 से लेकर आज तक लगातार बतौर एक कार्यकर्ता के मैंने भी पार्टी में कई उतार-चढ़ाव और संघर्ष के दौर में हिस्सा लेकर उसे नजदीक से देखा भी है।
लिहाजा, मैं भी साहस के साथ आपके रूप में अपने नेता को यह महत्वपूर्ण तथ्य साझा कर सकता हूं कि इस मौजूदा दौर में पार्टी में विचारधारा की सीधी लड़ाई लड़ने वाले नेता अब नहीं बचे हैं या उन्हें अन्य कारणों से विलुप्त कर दिया गया है।
आपके नेतृत्व में ऐसे नेताओं या पौध को हमें आगे लाना होगा या उनका निर्माण करना होगा। संघर्ष और बलिदानों की कोख से पैदा हुआ आप जैसा ‘निडर नेता’ ही इस महत्वपूर्ण व अकाट्य तर्क पर अपनी सहमति व्यक्त कर सकता है कि हमारी पार्टी की ‘बुनियाद ही हमारी विचारधारा’ है, जिससे हमें विमुख नहीं होना चाहिए।
यूं भी कांग्रेस पार्टी एक विचारधारा के साथ एक आंदोलन भी है। महज सरकार में रहना ही पार्टी का कभी उद्देश्य नहीं रहा, रहना भी नहीं चाहिए। आपके पराक्रमी नेतृत्व में संघर्ष का पथ ही हमें जनविश्वास की कसौटी पर खरा साबित करेगा।
आग्रह है कि अवसरवादियों, दलबदलुओं, ग़द्दारों और धंधेबाजों से पार्टी कोई भी, किसी भी प्रकार का कोई भी समझौता न करे। विजयी सत्य ही होगा। वास्तविक और विचारधारा को समर्पित पार्टीजनों ने ही हर विषम दौर में पार्टी को जीवित रखा है, यह इतिहास आगे भी दोहराया जाता रहेगा।