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Friday, September 20, 2024

पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा को कांग्रेस का ऑफर, पार्टी में हो जाएं शामिल

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ग्वालियर। मध्यप्रदेश में इन दिनों राजनीतिक दलों से नाराज नेताओं को विरोधी पार्टियां अपनी ओर खींचने की कोशिश में लगी हैं। इसमें भाजपा को खासा नुकसान हो रहा है। पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने कांग्रेस जॉइन कर ली, अब पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा को कांग्रेस में शामिल होने का ऑफर मिला है। मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे और भाजपा के पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा पर बयान दिया है। गोविंद सिंह ने कहा कि पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा हमारे पुराने मित्र हैं, लेकिन जिस तरीके से भाजपा में उनकी दुर्दशा हो रही है वह हमसे देखी नहीं जा रही है। वे पार्टी के एक कोने में पड़े हैं उन्हें कोई पूछ नहीं रहा है इसलिए हमारा दायित्व है कि हम उन्हें सम्मान दें। जबसे हमने उन्हें कांग्रेस में आने का ऑफर दिया है तब से उनकी भाजपा में इज्जत बढ़ गई है। अगर अनूप मिश्रा हमारे यहां आते हैं तो हम किसी भी विधानसभा से उन्हें लड़ा देंगे। हमारे पास कोई कमी नहीं है। उनसे जब मीडिया द्वारा ये सवाल पूछे गए कि आपके ऐसे कितने नेता दोस्त हैं जो भाजपा में शामिल हैं। इस पर उन्होंने कहा कि जो आना चाहता है वह आए हम किसी को तेल लगाने के लिए नहीं जा रहे हैं।

 

 

मध्य प्रदेश के खरगोन में हुए भीषण सड़क हादसे को लेकर डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि पूरे मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार ने अराजकता फैला दी है। हर तरफ घटनाएं घटित हो रही हैं। मध्यप्रदेश में लगातार लापरवाही की वजह से लोगों की जान जा रही है इसके बावजूद भी सरकार हाथ पर हाथ रख कर बैठी हुई है। प्रदेश में पुलिस के अधिकारी और प्रशासन सरकार के मंत्री विधायकों की सुरक्षा में लगे हुए हैं और पुलिस प्रशासन के अधिकारी मंत्रियों की रेत की खदाने चलवा रहे हैं। प्रदेश को कोई देखने वाला नहीं बचा है। अंधेर नगरी चौपट राजा का हाल हो रहा है।

 

ग्वालियर चंबल-अंचल में लगातार बढ़ रहे शस्त्र लाइसेंस का डॉ. गोविंद सिंह ने समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि शस्त्र लाइसेंस न देना इससे मैं सहमत नहीं हूं, क्योंकि ग्वालियर चंबल-अंचल में शस्त्र लाइसेंस युवाओं को रोजगार देता है। शस्त्र लाइसेंस सुरक्षा के साथ-साथ एक रोजगार का बड़ा साधन है। मगर यहां तो रोजगार ही नहीं मिल रहा तभी तो युवा आत्महत्या करने को मजबूर हैं। इससे तो अच्छा है कि उन्हें शस्त्र लाइसेंस दिया जाए ताकि उन्हें रोजगार के कुछ साधन उपलब्ध हो पाएं। पुलिस प्रशासन को सिर्फ ये देखना बहुत जरूरी है कि जिस व्यक्ति को वे शस्त्र लाइसेंस दे रहे हैं वह अपराधी और बदमाश प्रवृत्ति का न हो।

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