भोपाल | मध्यप्रदेश कोरोना संकट खत्म होने के बाद मध्य प्रदेश में होने वाले खंडवा लोकसभा, जोबट और पृथ्वीपुर विधानसभा का उपचुनाव कांग्रेस दमोह के फार्मूले पर लड़ेगी। प्रत्याशी का चयन आम सहमति बनाकर होगा। इसके लिए पूर्व मंत्रियों की अगुआई में पर्यवेक्षक दल स्थानीय स्तर पर रायशुमारी के लिए भेजा जाएगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने वरिष्ठ पदाधिकारियों को इस रणनीति के आधार पर तैयारी करने के संकेत भी दे दिए हैं।
प्रदेश कांग्रेस ने दमोह उपचुनाव में जिस तरह प्रत्याशी चयन के लिए पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर को पर्यवेक्षक बनाया था, उसी तरह आगे होने वाले उपचुनाव में भी पर्यवेक्षक भेजे जाएंगे। तय किया गया है कि चुनाव लड़ने के लिए जितने भी दावेदार हैं, उनसे एक बार क्षेत्र में और एक बार प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बैठक की जाएगी। यह भी दोे स्तर पर होगी।
कोरोना संक्रमण नियंत्रित होने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के स्तर पर बैठक होगी। इसमें वे क्षेत्र के सभी पार्टी पदाधिकारियों के अलावा दावेदारों से भी चर्चा करेंगे। इसके बाद पर्यवेक्षक क्षेत्र में रायशुमारी करने के साथ दावेदारों से मुलाकात करेंगे। बताया जा रहा है कि हर स्तर पर प्रयास यही रहेगा कि प्रत्याशी आम सहमति से चुना जाए। सभी दावेदारों को विश्वास में लेकर नाम घोषित होगा।
इससे जिस तरह दमोह विधानसभा के उपचुनाव में एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा गया, वैसा ही खंडवा लोकसभा, जोबट और पृथ्वीपुर विधानसभा का उपचुनाव लड़ा जाएगा। जोबट में भूरिया परिवार और पृथ्वीपुर में राठौर परिवार निर्णायक भूमिका में रहेंगे तो खंडवा में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव की राय को तवज्जो मिलेगी। यादव खंडवा लोकसभा से दो बार सांसद रह चुके हैं। वे भी प्रबल दावेदार हैं।
उधर, कांग्रेस के महासचिव (मीडिया) केके मिश्रा का कहना है कि टिकट के लिए पार्टी का एक ही फार्मूला है और वह है जीत की संभावना। जाहिर है कि टिकट के दावेदार अधिक होंगे पर जोर इस बात पर ही रहेगा कि प्रत्याशी को लेकर आम सहमति हो। दमोह में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने बैठकों में और पर्यवेक्षकों को पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि प्रत्याशी चयन स्थानीय स्तर पर आम सहमति से होना चाहिए। इसका फायदा भी मिला। यही रणनीति आगे भी रहेगी।