भोपाल: कांग्रेस नेता राहुल गांधी देशभर में जातिगत जनगणना की मांग को जोर-शोर से उठा रहे हैं, और इसी दिशा में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) ने राज्य स्तर पर जातिगत जनगणना कराने का प्रस्ताव रखा है। 2023 के विधानसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन और 2024 के लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद कांग्रेस ने एक नई रणनीति अपनाई है। पार्टी ने घोषणा की है कि वह मध्य प्रदेश में स्वयं जातिगत जनगणना कराएगी। इस फैसले पर भाजपा ने कड़ी आपत्ति जताई है और इसके खिलाफ चेतावनी दी है।
कांग्रेस प्रवक्ता जितेंद्र मिश्रा का कहना है कि जातिगत जनगणना समाज के निचले तबकों के उत्थान के लिए आवश्यक है और इसके जरिए समाज के वास्तविक आंकड़े सामने आएंगे। कांग्रेस ने ‘संविधान वाचन एवं जातिगत जनगणना संकल्प अभियान’ की शुरुआत की है, जिसके तहत दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोगों को संविधान के प्रति जागरूक किया जाएगा। इस अभियान के तहत पोलिंग स्तर तक संविधान रक्षक तैनात किए जाएंगे और संविधान वाचन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
दूसरी ओर, भाजपा ने कांग्रेस के इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भाजपा प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी ने कहा कि कांग्रेस समाज को जाति के आधार पर बांटने का प्रयास कर रही है, जो समाज को एकजुट करने के बजाय उसे और अधिक विभाजित करेगा।
अब सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस का यह जातिगत जनगणना का कदम मध्य प्रदेश में उसे राजनीतिक लाभ दिला पाएगा, या यह भाजपा के विरोध और समाज में जातिगत तनाव को बढ़ाने का कारण बनेगा। जातिगत गणना के इस राजनीतिक कदम के बाद भाजपा की प्रतिक्रिया भी महत्वपूर्ण होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस मुद्दे पर अपनी रणनीति में बदलाव करती है या कांग्रेस की इस योजना को विफल करने का प्रयास करती है।